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भ्रष्ट नगर निगम जालंधर को शिकायत करनी है तो पहले जाना होगा मजिस्ट्रेट के पास, पढ़िए क्यों

By Rajesh Kapil (JNN Chief)

Published on 23 Oct, 2018 08:26 PM.

जय हिन्द न्यूज़/जालंधर। भ्रष्टाचार कम करने के लिए देश में जहां ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए पोर्टल पर विकल्प दिए जा रहे हैं, ग्रामीण स्तरीय घोटालों की पोल खोलने के लिए ग्राम स्तर पर पहुंच की जा रही है। ऐसे में देश की सबसे भ्रष्ट छवि वाली नगर निगम जालंधर का नया कारनामा सामने आया है।

 

जय हिन्द न्यूज़ नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक निगम हाउस ने एक ऐसा प्रस्ताव पारित किया है कि इससे निगम को रिश्वतखोरी, अनियमितता और अराजकता को खुलेआम करने की और छूट मिल जाएगी। दअरसल, निगम ने 2 आरटीआई एक्टिविस्टों से खुद को परेशान बताकर 2 असवेंधानिक प्रस्ताव पारित कर डाले है जिससे नए कानूनी विवाद पैदा होने जा रहे हैं।

 

नगर निगम ने संवेधानिक अधिकार का इस्तेमाल करने वाले 2 आरटीआई एक्टिविस्टों को ब्लैकलिस्ट करने का प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ नगर निगम को किसी नियम के उलंघन की शिकायत करने को अब मुश्किल बना दिया है। हाल ही में पारित प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद शिकायत के लिए लोगों को पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होकर शपथ लेनी होगी। उसकी तस्दीक के बाद शपथपत्र को शिकायत से साथ लगाकर पेश करना होगा।

 

अब चूंकि सर्वविदित है कि निगम पर राजनीति हावी है जिसका भांडाफोड़ हाल ही में सम्पन्न हुई हाउस बैठक में हो चुका है। यहाँ बता दे कि शपथ पत्र के साथ अभी तक ऐसे शिकायत लोकपाल स्तर पर होती थी लेकिन निगम में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। हालांकि जिले के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर समेत अन्य सभी सरकारी विभागों को शिकायत बिना शपथ पत्र के हो सकती है।

 

वहीं, प्रशासनिक दृष्टि से भी देखा जाए कि सरकार शिकायत प्रक्रिया को खुद सरल बनाने का दावा करती है और सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखने की बात कहती है लेकिन भ्रष्ट नगर निगम जालंधर के इस फैंसले के लागू होने के बाद सब ओपन हो जाएगा।

 

जैसा कि तय माना जा रहा है कि ऐसा सिस्टम लागू होने के बाद शिकायतों में कमी आएगी, फ़र्ज़ी तो खत्म हो जाएगी लेकिन एक बात साफ है, "न नो मन तेल होगा न राधा नाचेगी"। बस गलत ढंग से काम करवाने वाले राजनीतिक लोगों की मौज लग जाएगी।

 

बहरहाल, प्रस्ताव पारित करके स्थानीय निकाय विभाग को भेजा जाएगा। देखना शेष होगा कि इसके पारित होने या न होने की सूरत में क्या विवाद जन्म लेता है।

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