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डीजीपी तक के खर्चे उठाते हैं आतंकियों के पनाहगार शिक्षण संस्थान, नहीं हुए एफआईआर में नामजद

By Rajesh Kapil (JNN Chief)

Published on 10 Oct, 2018 06:54 PM.

जालंधर। मुँह मांगी फीस मिलने पर किसी को भी सीट बेचने वाले पंजाब के शिक्षण संस्थानों का "आतंकी कनेक्शन" रोंगटे खड़े कर गया है। खुलासे ने जहां देश की सुरक्षा एजेंसियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि ऐसे और कितने होंगे, वहीं एक शिक्षण संस्थान सी. टी. इंस्टिट्यूट के चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी जिनके संस्थान से 2 आतंकवादी स्टूडेंट पकड़े गए है, का गैर जिम्मेदाराना बयान "हम संस्थान में आने वालेे छात्रों व उनके दोस्तों की कोई सुरक्षा जांच नहीं करते" सुरक्षा प्रति सजगता के दावों की पोल खोल गया है।

अगर चन्नी के बयान पर ही गौर फरमाया जाए तो स्वत: स्पष्ट होता है कि यह बड़े लोग कानून और सुरक्षा मानकों को कितना तरजीह देते है। ऐसा हो भी क्यों न, यह लोग नीचे से लेकर ऊपर यानि डीजीपी लेवल की "वगार" भरते हैं। महंगे तोहफे, पुलिस के हर इवेंट को मोटा माल देकर यही लोग तो स्पॉन्सर करते है। अगर यह बात हजम न हो रही हो तो बीते समय में हुए पुलिस के इवेंट को याद कर लिया जाए कि वो जब भी हुए इन शिक्षण संस्थानों की भागीदारी हर जगह रही है।

चन्नी तो चन्नी, सेंट सोल्जर ग्रुप के चेयरमैन अनिल चोपड़ा, जिनके संस्थान से भी एक आतंकवादी स्टूडेंट पकड़ा गया है, को लेकर चर्चा आम है कि वो भी एक डीएसपी के बुलाने पर अपने खजाने का मुँह खोल देता है। शायद यह ही कारण है कि अनिल चोपड़ा और उसके नाकाबिल बेटे राजन चोपड़ा पर दर्ज सरकारी जमीन हथियाने के केस को पुलिस ने दो बार कैंसिल कर दिया। हैरत हो रही होगी, मगर यह सच है कि इन दोनों संस्थानों के तार पुलिस के साथ गहरे है, जिसका प्रमाण आज सामने है कि पुलिस ने एफआईआर में दोनों प्रबंधकों के कमजोर, घटिया और गैर जिम्मेदाराना सुरक्षा इंतेज़ाम सामने आने के बाद भी एक लाइन तक नहीं लिखी, नामजद करना तो दूर रहा।

बहरहाल, पुलिस से सांठगांठ करने में अव्वल माने जाते दोनों शिक्षण संस्थानों के मुखी यह दोनों बड़े महानुभाव पुलिस के एक्शन से साफ बचते दिखाई दे रहे हैैं लेकिन कहते है कि "बकरे की "अम्मा कब तक खैर मनाएगी" नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) आती ही होगी।अब देखना शेष होगा कि देश की सुरक्षा में लगी एनआईए को यह मैनेज कर पाते है या नहीं। बाकी पंजाब की पुलिस से आज की तारीख में कोई उम्मीद नहीं क्योंकि अगर जम्मू पुलिस से इनपुट नहीं मिलता तो पंजाब पुलिस भी सोई ही थी, जिनकी नींद धमाकों के बाद ही टूटनी थीं।

 

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