प्रिंट एंड इलेक्ट्रानिक्स मीडिया एसोसिएशन (पेमा ) ने राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की गोलियां मारकर हत्या के मामले में गहरा शोक व्यक्त करते हुए घटना की सख्त निंदा की है। तमाम सदस्यों ने जहां बुखारी को श्रद्धांजलि दी है वहीं कहा है कि बुखारी व गौरी लंकेश जैसे साहसी पत्रकारों की हत्या से कलम की ताकत कम नहीं होगी बल्कि लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए कलम और तीखी होगी। पेमा के प्रधान सुरिंदर पाल, महासचिव अश्वनी खुराना, वाइस प्रधान व लीगल कमेटी के चेयरमैन राजेश कपिल ने एक सुर में इस हत्याकांड की निंदा की और कहा कि केंद्र व जेएंडके सरकार को कलमनवीसों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इस दौरान महाबीर सेठ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रोहित सिद्धू, जसपाल कैंथ, गगन वालिया, राजेश योगी, संदीप शाही, सहालकार मेहर मलिक, गुरप्रीत सिंह पापी, अशोक अनुज, रमेश नैय्यर, अनिल वर्मा, रागिनी ठाकुर, दविंदर चीमा, इमरान खान, पंकज राय, मंदीप शर्मा, हरीश शर्मा, कुलविंदर घुम्मण, परमजीत काहलो, शिदरपाल सिंह चाहल,अनुशासन कमेटी के पमरजीत, अजीत सिंह बुलंद, राजेश थापा व रमेश गाबा वाइस प्रधान कुमार अमित, रविंदर शर्मा आदि समेत कई पत्रकारों ने इस घटना की सख्त निंदा की है। तमाम पेमा सदस्यों ने कहा कि एक सम्पादक की हत्या कश्मीर की विचारशील आवाजों को दबाने की कोशिश है। यह हत्या केवल एक पत्रकार की नहीं बल्कि कश्मीर में शुरू की गई शांति प्रक्रिया की हत्या है। शुजात बुखारी के शरीर में दागी गई गोलियां अमन और लोकतंत्र के समर्थकों पर भी चली है। तीन माह पहले ही राइजिंग कश्मीर के 10 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने एक सम्पादकीय लिखा था। इसमें उन्होंने पत्रकारिता की चुनौतियों का जिक्र किया था और लिखा था ‘‘कश्मीर में किसी भी पत्रकारिता के लिए पहली चुनौती खुद को जिन्दा रखना और सुरक्षित रहना है।