जय हिन्द न्यूज/जालंधर
NRI थाना जालंधर अर्बन पुलिस सिर्फ FIR करने तक सिमट कर रह गई है। दर्जन भर मामलों क़ो लेकर थाना पुलिस के खिलाफ CID रिपोर्ट करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि VB का अगला निशाना अब यही थाना हो सकता है।
वहीं, इसी NRI थाना पुलिस के मत्थे एक और कलंक तब लग गया जब जमीनी सौदे की आड़ में NRI's के साथ ठगी-जालसाजी के आरोप में संगीन धाराओं के तहत दर्ज़ 2 FIR में नामजद होने के बाद फ़रार चल रहे जालंधर के चहार बाग निवासी पिता-पुत्र खुलेआम आए और FIR No. 15 में जमानत अप्लाई करवाकर चलते बने।
पता चला है कि फ़रार चल रहे लेकिन संभवतः रिश्वत के बोझ से दबी थाना पुलिस के चलते बेखौफ़ घूम रहे फ़रार दोनों पिता-पुत्र की अग्रिम ज़मानत पर सुनवाई वीरवार क़ो होगी। पता चला है कि आरोपियों के शिकार लोगों ने आपस में एकमत होकर अदालत में ज़मानत अर्जियों का विरोध करने का फैंसला लिया है।
सूत्रों के मुताबिक विगत दिवस दोनों फ़रार आरोपियों पिता-पुत्र क़ो एक ट्रेवल एजेंट की बेशकीमती कार में कोर्ट परिसर के आसपास देखा गया ज़ब वो अर्जी पर सिग्नेचर करने आए थे। आरोपियों के विरोधी के मुताबिक उसने थाना पुलिस क़ो बताया भी था लेकिन SOLD OUT स्टैम्प लगवा चुकी NRI अर्बन थाना पुलिस ने दोनों की गिरफ़्तारी क़ो लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि दोनों पिता पुत्र अन्य पुत्र अंश समेत पुलिस क़ो FIR No. 16 में भी WANTED हैं।
भारतीय मूल की अमेरिकन सिटीजन इन्द्रजीत कौर पत्नी हरदीप सिंह गोल्डी निवासी 312, GTB नगर जालंधर की शिकायत पर कमिश्नरेट पुलिस जालंधर ने पंजाब के NRI विंग की उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट के आधार पर 201, चहार बाग जालंधर निवासी विकास शर्मा उर्फ चीनू पुत्र तिलक राज तथा कार्तिक शर्मा पुत्र विकास शर्मा के खिलाफ IPC की धारा 420, 465, 467, 468, 471 तथा 120-बी के तहत केस दर्ज किया था।
संगीन आरोपों के चलते VB केस में गिरफ़्तार होकर जेल में बंद पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के बेहद करीबी माने जाते आरोपी विकास शर्मा के कई पुलिस अधिकारियों व गर्मख्याली नेताओं के साथ भी खासे लिंक बताए जाते हैं। मगर केस दर्ज होने के बाद से वो फ़रार तो चल रहा है लेकिन खुलेआम घूमने के बावजूद पिता-पुत्र की गिरफ्तारी नहीं की जा रही।
पीड़ित का दावा है कि उनको जान से मरवाने की धमकियां भी दी गई। केस दर्ज करवाने के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा क्योंकि आरोपी विकास का कई बड़े अफसरों ने खुलकर फेवर किया जिसके खिलाफ वो जल्द अलग से शिकायत करेंगे। दोनों पिता-पुत्र ट्रेवल एजेंट और बैंक फाइनेंन्स वालों के नाम वाले फ़ोन इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर थाना पुलिस डक्का नहीं तोड़ रही।
हालांकि, FIR में मौजूद कंटैंट के मुताबिक पुलिस ने आरोपियों का भी पक्ष सुना था जिसमें उन्होंने खुद को बेकसूर बताया था लेकिन कैश पेमेंट वाली असली रसीद पेश नहीं की। वहीं, दोनों आरोपी पिता-पुत्र ने खुद के साथ फ्राड होने की बात भी कही लेकिन पुलिस को उनकी कहानी पर जरा सा भी यकीन नहीं हुआ। हालांकि जांच ट्रांसफर करवाने के लिए दोनों आरोपी माननीय हाईकोर्ट भी गए लेकिन राहत नहीं मिली थी।
*क्या है पिता-पुत्र पर आरोप, पढ़िए*
बकौल पीड़ित, उसने फोहल्ड़ीवाल स्थित अपनी खेतीहारी जमीन का सौदा 6 लाख रुपए प्रति मरला के हिसाब से आरोपी कार्तिक के साथ किया था। पेशगी रकम 1.25 करोड़ रुपए वसूल किए थे। एक एग्रीमैंट भी हुआ था जिसके हिसाब से बाकी पेमेंट कुछ महीने बाद लेकर रजिस्ट्री करवानी थी और विदेश चली गई। आरोप कि जब वो स्वदेश लौटी तो उनको कार्तिक की तरफ से कोर्ट में दायर एक सिविल केस का पता चला जिसमें उनको दो करोड़ रुपए की एक कैश रसीद बारे पता चला जो कि रकम उनको आरोपी पक्ष ने कभी दी ही नहीं। पीड़ित का दावा कि उन्होंने काफी रसूखदार लोगों को बीच डालकर आरोपी पक्ष को समझाने तथा विवाद सुलझाने की कोशिश की लेकिन दोनों पिता-पुत्र अड़े रहे। अत: पंजाब के एनआरआई विंग में शिकायत दी।
*पुलिस की जांच रिपोर्ट*
उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए कि आरोपी पक्ष ने एक सोची-समझी गहरी साजिश के तहत बेहद शातिराना ढंग से NRI महिला से ठगी को अंजाम दिया। जांच में सामने आया कि आरोपी कार्तिक शर्मा और उसके पिता विकास शर्मा उर्फ चीनू ने पहले पीड़ित महिला को झांसे में लेकर जमीन का सौदा किया। एक करोड़ रुपए पेशगी रकम देकर बयाना कर लिया और बकाया रकम अदायगी तथा रजिस्ट्री के लिए समय तय कर लिया। एग्रीमेंट के बाद पीड़ित विदेश चली गई और जब भारत लौटी तो कोर्ट में कार्तिक की ओर से किए केस बारे पता चला। केस फाइल हासिल की तो पता चला कि उसमें दो करोड़ रुपए कैश अदा किए जाने की रसीद लगी देखी जो कि उनको आरोपी पक्ष ने कभी अदा ही नहीं किए। रसीद पर कार्तिक के अलावा उसके पिता विकास शर्मा उर्फ चीनू के भी साइन थे जिसको उन्होंने दावे के साथ कोर्ट में पेश किया था। जांच में यह भी सामने आया कि दो करोड़ रुपए देने का एक व्हाटसैप संदेश मार्च की पुरानी तारीख में पेश किया जबकि रसीद एक महीने बाद लिखी गई थी। जांच में लगभग सारे आरोप साबित होने तथा फर्जीवाड़ा होने के प्रत्यक्ष प्रमाण सामने आने पर पुलिस ने पाया कि पिता-पुत्र ने मिलकर एनआरआई महिला को जालसाजी से ठगा है जिसके चलते दोनों के खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की।