जय हिन्द न्यूज/जालंधर
सफेदपोशों के संरक्षण में इमारतों को सीलिंग नोटिस भेजकर रिश्वतखोरी करने के आरोप में गिरफ्तार नगर निगम जालंधर के असिस्टैंट टाउन प्लानर (एटीपी) सुखदेव वशिष्ठ के दु:ख वाले दिन कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पहले दो-दो दिन, फिर तीन दिन तो आज फिर से कोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो को आरोपी सुखदेव वशिष्ठ का तीन दिन का रिमांड दिया है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान ब्यूरो के डीएसपी निरंजन सिंह की रिमांड एप्लीकेशन के आधार पर फिर से पांच दिन का रिमांड मांगा गया जिस पर कोर्ट ने पहले असहमति दिखाई। हालांकि जब ब्यूरो के वकील रिशी भारद्वाज ने उच्च अदालतों के फैसलों का हवाला देकर दलील पेश की तो कोर्ट रिमांड अवधि तीन दिन और बढ़ाने पर सहमत हुई।
उधर, सूत्रों के हवाले से खबर निकलकर बाहर आ रही है कि जांच में शामिल नोटिसों की संख्या 300 से पार हो चुकी है। ब्यूरो की जांच टीम के सामने हैरत की बात यह सामने आई है कि सारे नोटिस बेहद शातिराना अंदाज में जारी किए गए थे। लगभग सभी नोटिसों में किसी का नाम नहीं तो नोटिस में गली का नहीं क्षेत्र का नाम लिखा गया था।
रिमांड के दौरान भी आज कोर्ट को इस आश्य से अवगत करवाया गया कि आरोपी नोटिसों को देखकर सहयोग नहीं कर रहा है कि वो ऐसा क्यों करता था और चिन्हित इमारत का पूरा जिक्र क्यों नहीं करता था। संभवत: यही माना जा रहा है कि आरोपी का उद्देश्य सैटिंग करके नोटिस को बट्टे-खाते में डालना ताकि कभी किसी का नाम सामने न आए।
उधर, सूत्रों के जरिए यह भी पता चला है कि विजिलैंस ब्यूरो की मोहाली टीम ने गत दिवस जालंधर तहसील में आकर आरोपी और उसके निकट परिजनों तथा राजदारों के बेनामी संपतियों के रिकार्ड को हासिल कर लिया है। अपुष्ट दावा किया गया है कि आरोपी ने तीन-तीन एकड़ के प्लाटों की रजिस्ट्री तक अपने नाम करवाई लेकिन विभागीय परमिशन नहीं ली। कयास लगाया जा सकता है कि ब्यूरो आरोपी के खिलाफ आय से अधिक संपति अर्जित मामले की जांच भी करने जा रही है।
बहरहाल, तीन दिन का रिमांड बढऩे के बाद इस घोटाले की जांच में कुछ बड़ा निकलकर सामने आने के प्रबल आसार दिखने लगे हैं। बेशक शिकायत में एबीबी, आरके के बॉस आदि के नाम होने के दावे किए गए हैं लेकिन अभी तक उसके साथ लिंक स्थापित होने का खुलासा ब्यूरो ने नहीं किया है। मगर जिस प्रकार से बीते समय में राजनीतिक मनमानियां की गई उससे साफ है कि उन नेताओं etc की गर्दन नपनी भी तय है।