जय हिन्द न्यूज/जालंधर
मनमाने ढंग से सीलिंग नोटिस जारी कर ब्लैकमेलिंग करके बिल्डिंग मालिकों से करीब 50 करोड़ की उगाही करने के स्कैंडल में स्टेट विजिलैंस ब्यूरो पंजाब की जालंधर रेंज के हाथ काफी पुख्ता दस्तावेज लगे हैं। सूत्रों का दावा है कि जल्द ही इस मामले में कुछ और गिरफ्तारियां होगी जिनकी कुल संख्या 16 तक होने की उम्मीद है जिसमें कुछ पत्रकार, फर्जी पत्रकार एवं प्राइवेट तौर पर नेताओं की बिचौलगिरी करने वाले लोग भी शामिल है।
उधर, इस स्कैंडल में गत दिवस गिरफ्तार किए नगर निगम जालंधर की बिल्डिंग ब्रांच के सहायक टाउन प्लानर (एटीपी) सुखदेव वशिष्ठ को आज कोर्ट में पेश किया गया जहां सुनवाई के बाद विजिलेंस ब्यूरो को आरोपी वशिष्ठ से राज उगलवाने के लिए दो दिन का रिमांड मिला है। ब्यूरो ने कुछ दस्तावेजों के आधार पर ज्यादा दिनों का रिमांड मांगा था।
पता चला है कि कोर्ट में पेश करने से पहले घर व आफिस की सर्च के दौरान विजिलैंस ब्यूरो को गिरफ्तार एटीपी सुखदेव वशिष्ठ के आवास से करीब डेढ़ किलो सोना मिला है। हालांकि चर्चा पांच किलो सोना मिलने की भी सुनने को मिली। ब्यूरो का कहना है कि अभी सर्विस रिकार्ड भी तलब किया गया है जिससे संपति का आधार स्पष्ट होगा।
इसी प्रकार ब्यूरो की टीम को सर्च के दौरान आरोपी के आफिस से विभिन्न नंबर लगे काफी सीलिंग नोटिस भी मिले हैं जिनमें कुछ भरे तो कुछ खाली हैं। अब ब्यूरो इनकी भी जांच कर रहा हैं कि क्या यह नोटिस नगर निगम रिकार्ड का हिस्सा है या फिर यह अपने स्तर पर ही स्कैंडल को अंजाम देने के लिए बनाए जाते थे।
वहीं, पता चला है कि ब्यूरो की ओर से एक पत्र भी नगर निगम कमिश्नर को भेजकर रिकार्ड मांगा गया है कि आरोपी की तरफ से आजतक कितने केस डील किए गए हैं। संबंधित फाइलों का रिकार्ड पेश करने के लिए कहा है। इसी प्रकार किसी बिल्डिंग की सीलिंग प्रक्रिया बारे भी लिखित में मांगा गया है, कि उसका नियमानुसार क्या प्रावधान तथा प्रोसीजर है।
बहरहाल, अब ब्यूरो की जांच में यह सामने आएगा कि आरोपी एटीपी सुखदेव वशिष्ठ जिनको किस राजनीतिक आका के इशारे पर जालंधर निगम का भी एडिशनल चार्ज दिया गया था, उसका क्या कारण था। आरोपी की तरफ से डील की गई फाइलों में क्या, कब, कैसे अनैतिक किया गया तथा अगर उसका काम गलत था, तो उसके गिरोह में कौन लोग शामिल थे।
उधर, इस मामले में गिरफ्तार एटीपी सुखदेव वशिष्ठ के गैंग में मीडिया के लोगों का नाम खुले आम लिए जाने के बाद जालंधर के दो पत्रकार गैंगों में न्यूज वॉर शुरू हो गई है। एटीपी के करीबी पत्रकार के खिलाफ न्यूज प्रकाशित होने के कुछ देर बाद ही उक्त एटीपी के करीबी पत्रकार की ओर से भी न्यूज प्रकाशित करके उस पोर्टल मालिक के खिलाफ न्यूज लिखकर प्रहार किया गया जिसमें उसने कुछ सरकारी जमीनों पर कब्जों का जिक्र किया है।
यहां बताना जरूरी है कि यह चर्चा आम हो रही है कि जालंधर में पत्रकार संगठन पत्रकारों के कल्याण के लिए नहीं बल्कि दो नंबर के धंधों से मोटी कमाई करने के लिए बनाए जाने लगे हैं। इनमें से ज्यादातर पत्रकार संगठनों के प्रधानों का तो आपस में 36 का आंकड़ा हैं क्योंकि पहला दो नंबर के धंधेबाज को स्पोर्ट करता है, तो दूसरा उसका घाटा करवाने का पूरा प्रयास करता है। अवैध इमारतें बनवाने और गिरवाने का खेल भी इसका परिणाम है।
अंदर की बात यह भी पता चली है कि आरोपी एटीपी के साथ जिस पत्रकार का नाम लिया जा रहा है, वो जिस संस्था प्रधान का पदाधिकारी है, उस प्रधान की दूसरी उस संस्था के प्रधान के साथ नैक टू नैक फाइट है जिसने पहले एटीपी के मामले में खबर प्रकाशित करके पत्रकार का उसके गिरोह में शामिल होने का जिक्र किया था। हालांकि कभी यह दोनों संगठनों के प्रधान जय-वीरू के माफिक भी जाने जाते थे।
चर्चा आम है कि जालंधर शहर में भ्रष्टाचार खत्म न होने की जड़ कुछ स्वघोषित/स्वं-भू/स्वं-शैलीय पत्रकार हैं जो सिर्फ अफसरों के साथ मिलकर गलत ढंग से मोटी कमाई करने के लिए दिखावे के पत्रकार बने हैं। कुछ तो धड़ल्ले से सरकारी अफसरों के लिए रिश्वत की रकम भी बेखौफ होकर पकड़ रहे हैं जिस कारण उनकी उस अफसर में दफ्तर में पूरी गल्लबात भी देखने को आम मिल रही है।
वहीं, कुछ पत्रकार बड़े अफसरों के साथ फोटो सैशन करवाकर छोटे अफसरों में यह रौब कायम करते हैं ताकि पैठ बनी रहे और उनके साथ निकटता से रूटीन के काम करवाकर लाभ अर्जित किया जा सके। अब सारा खेल माया का ही है इसलिए ऐसे खेल में शामिल पत्रकार आए दिन एक दूसरे को नीचा दिखाने की साजिशें करते व करवाते रहते हैं।
अब चूंकि खुलकर सामने आ गया है कि जालंधर में उगाही व दो नंबर धंधों से मोटी कमाई करने के लिए पत्रकारों का इस्तेमाल किया जा रहा था। वहीं, गैंगवॉर न्यूज के माध्यम से यह भी सामने आ गया है कि हमाम में सभी नंगे हैं, तो ऐसे में यह सारे आरोप भी जांच का विषय है, जो पत्रकारिता स्तर की रक्षा के लिए होना अति आवश्यक है। देखना शेष होगा कि यह आरोप कितने दिन टिक पाते हैं।