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CHANDRASHEKHAR ने दिल्ली कॉलजों की समस्याओं पर UGC को लिखा पत्र, पत्र में शिक्षकों के वेतन में देरी ,खाली पदों की भरपाई का किया जिक्र

By jai hind news desk

Published on 28 Oct, 2024 01:45 PM.

सांसद चंद्रशेखर आजाद ने दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के आर्थिक संकट को लेकर UGC अध्यक्ष को पत्र लिखा है. उन्होंने वेतन न मिलने, बच्चों की शिक्षा भत्ता, पदोन्नति और यात्रा रियायत जैसे मुद्दों को उठाया है. लगभग 300 अड-हॉक शिक्षक नियमितीकरण की प्रतीक्षा में हैं. उन्होंने कॉलेजों की वित्तीय स्थिति सुधारने और अतिरिक्त शिक्षण पदों की स्वीकृति की मांग की है.



उत्तर प्रदेश के नगीना से लोकसभा सांसद CHANDRASHEKHAR AZAD  ने दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के गंभीर वित्तीय संकट को लेकर गहरी चिंता जताई है. इस संदर्भ में उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार को पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की है. उनका कहना है कि शिक्षकों का उचित वेतन न मिलने से उनकी कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है और इससे छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित होती है। इसके अलावा, खाली पदों को भरने में देरी से कॉलेजों में कार्यभार बढ़ता है, जिससे बाकी शिक्षकों पर अधिक दबाव पड़ता है। बिलों का समय पर भुगतान न होने से कॉलेजों को कई तरह की वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि आवश्यक सुविधाओं का अभाव। चंद्रशेखर ने यूजीसी से इन मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि कॉलेजों की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।



CHANDRASHEKHAR AZAD ने यह भी बताया कि करीब 300 अड-हॉक शिक्षक कई सालों से स्थायी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं, जिनमें से कई 15 साल से अस्थायी तौर पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा, कॉलेजों में कई पद खाली हैं और खराब बुनियादी ढांचे की वजह से शिक्षकों और छात्रों को दिक्कतें हो रही हैं. शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में तुरंत नए शिक्षण पदों को मंजूरी देने की मांग की है, ताकि मौजूदा शिक्षकों पर से काम का बोझ कम हो और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके.




सांसद ने यूजीसी के अध्यक्ष से आग्रह किया कि इन कॉलेजों की वित्तीय समस्याओं का त्वरित समाधान निकाला जाए और आवश्यक शिक्षण पदों की मंजूरी के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं. यह पत्र दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री आतिशी को भी भेजा गया है, ताकि दिल्ली सरकार इस दिशा में जल्द आवश्यक कदम उठा सके.

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