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SUPREME COURT ने मदरसों से गैर-मुस्लिम छात्रों को हटाने के मामले में योगी सरकार को नोटिस जारी किया

By jai hind news desk

Published on 21 Oct, 2024 01:15 PM.

कोर्ट ने इस कदम पर रोक लगाते हुए कहा कि यह कार्रवाई संविधान के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है। यह निर्णय इस बात का संकेत है कि सभी छात्रों को शिक्षा के समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है और इसे धर्म के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता। इस मामले में आगे की सुनवाई होगी, जिसमें सरकार को अपने कदमों के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा।  सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के इस आदेश पर रोक दी है, जिसमे  जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का निर्देश जारी किया गया था. 

 

 

उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी. उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था. इसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और सभी मदरसों की जांच करने को कहा गया था. इस याचिका की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर नोटिस जारी किया जाए. इसके अलावा NCPCR के 7 जून, 25 जून और 27 जून को जारी रिपोर्ट और इसके बाद उठाए गए सभी कदमों पर रोक लगाई जाती है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें  दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए. NCPCR ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. जिस वजह से बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल पाती है और वो पिछड़ जाते हैं. 

 

 

इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की थी, बल्कि उन्होंने सिफारिश की थी कि इन संस्थानों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए, क्योंकि ये गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं.

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