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SADHGURU पर लगा था बेटियों के ब्रेनवॉश करने का आरोप, SUPREME COURT ने सुनाया फैसला

By jai hind news desk

Published on 18 Oct, 2024 03:06 PM.

SUPREME COURT ने शुक्रवार को जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी है। एक व्यक्ति ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करके आरोप लगाया था कि कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन परिसर में उसकी दो बेटियों को बंधक बनाकर रखा गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोनों महिलाएं बालिग हैं। दोनों ने कहा है कि वे स्वेच्छा और बिना किसी दबाव के आश्रम में रह रही थीं। सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास उच्च न्यायालय में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ब्रेशवॉश करके आश्रम में रखा गया है। बड़ी बेटी गीता की उम्र 42 और छोटी बेटी लता की उम्र 39 साल है। इसके बाद 30 सितंबर को MADRAS HIGH COURT ने ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश तमिलनाडु पुलिस को दिया।

 

HIGH COURT के आदेश के बाद लगभग 150 पुलिस के जवान जांच करने ईशा फाउंडेशन पहुंचे। ईशा फाउंडेशन ने आरोपों पर कहा कि दोनों लड़कियां अपनी स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने देश की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच पर रोक लगा दी। पिछली सुनवाई में एक युवती ने माना था कि वह अपनी स्वेच्छा से आश्रम में हैं। उन्होंने आठ साल से अपने पिता पर परेशान करने का आरोप भी लगाया।

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