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पहला केस-पहली जीत: आत्महत्या मामले में आरोपी सास को मिली अग्रिम जमानत-दूसरे में अरैस्ट स्टे, पढि़ए युवा वकील मेहर सचदेव ने कोर्ट में क्या पेश की दलीलें और खानदान की तीसरी पीढ़ी की वकालत का पहला अनुभव

By RAJESH KAPIL, EDITOR-IN-CHIEF

Published on 25 Jul, 2024 08:11 PM.

 

          जय हिन्द न्यूज/जालंधर


बहु की आत्महत्या के मामले में नामजद आरोपी सास रेखी देवी उर्फ रेखा देवी को जालंधर के एडिशनल सैशन जज श्री विशेष ने युवा वकील मेहर सचदेव की दलीलें सुनने के बाद अग्रिम जमानत ग्रांट की है।

 

 

 

 

सुश्री मेहर की पेश दलीलों को सुनने को बाद कोर्ट ने पाया कि उनकी क्लाईंट के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोप नाकाफी है। अतः अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करने का फैंसला सुनाया।

 

 

 

 

 


बता दें कि आरोपी सास रेखी देवी के खिलाफ थाना 1 की पुलिस ने 29 मार्च 2024 को मृतका रेश्मी कुमारी की माता मूलत: बिहार (वर्तमान निवासी सलेमपुर जालंधर) रीना देवी के बयान पर मामला दर्ज किया था जिसमें ससुर त्रिवेणी सिंह तथा पति रवि सिंह को भी नामजद किया है।

 

 

 

 

 


वही, बता दें कि वकालत के पेशे में कदम रखते ही खानदान की तीसरी पीढ़ी वाली सुश्री मेहर सचदेव का यह पहला केस था जिसमें उनको सफलता मिलने पर सोशल मीडिया पर काफी लोगों से विशेषत: सीनियर्स से बधाईयां भी मिली जिससे एडवोकेट मेहर सचदेव लाइमलाइट में आ गई।

 

 

 

 

 


संपर्क करने पर सुश्री मेहर सचदेव ने अनुभव सांझा किया कि एक वकील को जिंदगी के पहले केस में ही चुनौती मिल जाए कि संगीन अपराध की श्रेणी वाले सुसाइड केस में से आरोपी को तत्काल राहत दिलाना है, तो कोर्ट के समक्ष पूरे तथ्यों का अध्ययन और आत्मविश्वास के साथ जाना ही जीत का मार्ग तय करता है।

 

 

 

 

 

सुश्री मेहर ने बताया कि जीवन के पहले केस की सुनवाई माननीय सैशन जज स्तरीय अदालत में होनी थी और पिता एडवोकेट मंदीप सिंह सचदेव से बहस के लीगल टिप्स भी लिए थे। फिर भी आत्मविश्वास की कमी लगी लेकिन जैसे ही कोर्ट में प्रवेश से पहले दादा स्व. गुरदीप सिंह सचदेव को आंख बंद करके याद किया, तो आत्मविश्वास स्वत: कायम हो गया।

 

 

 

 

 

 

सुश्री मेहर का मानना है कि वकालत के पेशे में महिला वकीलों की भागीदारी जूनीयर्स तक सिमटकर नहीं रहनी चाहिए। वकालत का दूसरा पहलू चुनौती ही है इसलिए इस पेशे को चुनते समय यह दिमाग में बैठा लेना चाहिए कि कभी-कभी सोच से बड़ी चुनौती का सामना भी हो सकता है।

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