प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पंजाब में आज बुधवार को छापेमारी की। प्रथम सूचना में पता चला है कि ये रेड पंजाब आबकारी विभाग के कमिश्नर IAS वरुण रूजम के चंडीगढ़ के सेक्टर 20 स्थित घर पर चल रही है। सूत्रों ने बताया कि इसके कुछ तार दिल्ली शराब नीति से जुड़े हो सकते हैं lekin kaha yeh bhi ja raha hai ki पंजाब और चंडीगढ़ समेत कुल 22 जगह पर यह छापेमारी पंजाब में 137 करोड़ के अमरुद बाग घोटाले मामले में की। ईडी ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर इस राजेश धीमन और पंजाब एक्साइज कमिश्नर वरुण के घर पर छापामारी कर इस घोटाले से जुड़े साक्ष्य और पूछताछ की।
gortalab hai ki haal hi mein ed ne दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ही ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. फिर केजरीवाल को कोर्ट ने 28 मार्च तक ईडी हिरासत में भेज दिया. इस केस में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में हैं.
ईडी का क्या दावा है?
केंद्रीय जांच एजेंसी का दावा है कि आबकारी नीति बनाने और लागू करने में गड़बड़ी हुई है. इसके मुख्य साजिशकर्ता आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं. इसमें सिसोदिया और संजय सिंह सहित कई AAP नेता शामिल रहे हैं.
वहीं AAP ने इस आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि बीजेपी राजनीतिक बदले की भावना के तहत ये सब कर रही है. सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई लोकसभा चुनाव को देखते हुए की गई है.
बता दे इस मामले में बीते 30 जनवरी को मामले में पंजाब विजिलेंस ने बागवानी विकास अधिकारी जसप्रीत सिंह सिद्धू को गिरफ्तार किया था। लगभग 180 एकड़ ज़मीन पर मौजूद फलदार वृक्षों का मूल्यांकन जे.एस. सिद्धू, एच.डी.ओ. द्वारा किया जाना अनिवार्य था, जबकि उसने निरीक्षण/मूल्यांकन के लिए केवल एक बार ही एक्वायर की गई जमीन का दौरा किया था और कुल 207 खसरा नंबरों से सम्बन्धित मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर दी, जो कि एलएसी, गमाडा की सर्वेक्षण सूची में अलग तौर पर दिखाया गया है।
इसके अलावा, यह भी पाया गया कि उसने खसरा गिरदावरी रिकॉर्ड की फोटो कॉपियां प्राप्त की थीं, जिसमें अमरूद के बाग के लिए सम्बन्धित जानकारी/संशोधन / तबदीली को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता था। हालाँकि, उसने जानबूझ कर इन तथ्यों को नजरअन्दाज किया और पौधों की उम्र 4-5 साल दर्ज करके गलत मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर दी।
अधिक जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि विजीलेंस ब्यूरो ने अब तक लाभार्थियों और सरकारी अधिकारियां/ कर्मचारियों समेत कुल 21 दोषी व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें जे.एस. जौहल, एल.ए.सी., वैशाली, एच.डी.ओ., बचित्तर सिंह, पटवारी आदि शामिल हैं। इसके अलावा कुछ लाभार्थियों द्वारा 100 प्रतिशत मुआवज़ा राशि जमा करवाने की पेशकश करने पर हाई कोर्ट द्वारा आगामी ज़मानत दी गई है और अन्य मुलजिमों ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया है।
इसके उपरांत, विजीलैंस ब्यूरो ने हाई कोर्ट के ज़मानत आदेशों को चुनौती देने के लिए भारत की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच की और तथ्यों पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को नोटिस जारी किये हैं। हाई कोर्ट ने अलग-अलग दोषी लाभार्थियों को कुल 72.36 करोड़ रुपए की रकम जमा करवाने का आदेश दिया है, जिसमें से अब तक 43.72 करोड़ रुपए जमा करवाए जा चुके हैं।