जय हिन्द न्यूज/जालंधर
अब आरोपी अफसर का शपथ पत्र झूठा या पंजाब विजिलेंस ब्यूरो का गणित कमजोर। यह तो वक्त बताएगा लेकिन ताजा खबर यह है कि आय से अधिक संपति बनाने के आरोप में नामजद और बीते करीब 8 महीनों से फरार चल रहे स्टेट जीएसटी अधिकारी बलबीर कुमार विरदी को माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से आज अंतरिम राहत मिल गई। ज्ञात हुआ है कि माननीय हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगाकर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है।
माननीय हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश आरोपी विरदी की दूसरी बार दायर जमानत याचिका के साथ पेश किए संपति बाबत शपथ पत्र के आधार पर जारी किया है। यही नहीं माननीय हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज हो जाने और महीनों बीत जाने के बावजूद गिरफ्तार न होने का संज्ञान लिया है। इससे जहां विजिलेंस ब्यूरो की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा है, वहीं फरार आरोपी की तरफ से संपति बाबत शपथ पत्र दायर किए जाने से ब्यूरो के करप्शन केस बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विवेक पर सवाल खड़ा हो गया है।
बता दे कि राज्य के बहुकरोड़ीय जीएसटी घोटाले में पासरों के साथ मिलीभगत के आरोपों पर चलते पहले ही कई महीनों तक फरार रहने के बाद जमानत पाने वाले बलबीर कुमार विरदी के खिलाफ स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की जालंधर रेंज ने 16 मई 2023 को आय से अधिक संपति अर्जित करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। केस में उनके साथ कुछ राजदारों को भी नामजद किया था जिसमें से उनके करीबी बताकर नामजद किए भगवंत भूषण को गत दिवस गिरफ्तार किया गया था जिनको बाद में जमानत मिल गई थी।
बहरहाल, माननीय हाईकोर्ट की एक ताजा याचिका के आधार पर जारी अंतरिम आदेश ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सवालों के कटघरे में ला खड़ा कर दिया है। पता चला है कि आरोपी टैक्सेशन अफसर बलबीर कुमार विरदी के फरार रहने के कारण जालंधर विजिलेंस ब्यूरो के दफ्तर में धूल फांकती चली आ रही केस फाइल की रिपोर्ट अब हैडआफिस तलब कर ली गई है।
वहीं, दूसरी तरफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बड़े-बड़े दावों से जनता के समक्ष सीना ठोकने वाली आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार का यह केस भी ताश के पत्तों की तरह बिखरता देख अफसरों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं क्योंकि यदि आरोपी बलबीर कुमार विरदी को क्लीनचिट वाली राहत मिल जाती है, तो सरकार की साख को गहरी चोट पहुंच सकती है।
संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में यदि आरोपी अधिकारी विरदी खुद को बेकसूर साबित करने में कामयाब रहा तो उनके ख्रिलाफ पहले दर्ज केस के भी कमजोर होने की प्रबल संभावना है। इसी प्रकार यदि उनके केस झूठ की मीनार पर तैयार किए पाए जाते हैं, तो विजिलेंस ब्यूरो के उन अफसरों पर गाज गिरना तय है, जिन्होंने उनके खिलाफ केस तैयार करके उनको आरोपी बनाया। फिलहाल यह सभी बाते भविष्य के गर्भ में हैं। हाईकोर्ट में अब केस 15 जनवरी 2024 को सुना जाएगा।