फरीदकोट। तकरीबन साढ़े 3 साल पुराने हत्याकंाड से जुड़े रिश्वतकांड को लेकर माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से नई खबर सामने आई है। शिकायतकर्ता को डरा धमका कर आईजी फरीदकोट प्रदीप कुमार यादव के नाम पर 50 लाख की रिश्वत मांगने के दो आरोपियों को माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत लाभ देने से इंकार कर दिया है। दोनों की याचिकाएं खारिज करते हुए माननीय हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपियों की हिरासती पूछताछ जरूरी है।
बता दे कि 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और सौदा 35 लाख में करके 20 लाख वसूलने का शोर मचने पर उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के बाद सरकारी और प्राइवेट लोगों के खिलाफ करप्शन केस दर्ज किया गया था। इन नामजद आरोपियों में शामिल एसआई खेमचंद पराशर व गौशाला बीड़ सिखांवाला के प्रमुख मलकीत दास की अग्रिम जमानत याचिकाओं को सैशन कोर्ट के बाद अब हाईकोर्ट ने भी रद्द कर दिया।
गौरतलब है कि इससे पहले इस केस में नामजद किए इन दोनों आरोपियों समेत फरीदकोट के एसपी गगनेश कुमार, डीएसपी सुशील कुमार व एक अन्य आरोपी जसविंदर सिंह जस्सी ठेकेदार की अग्रिम जमानत याचिकाएं जिला अदालत से रद्द हो चुकी थी। अब कुल पांच आरोपियों में से इन दोनों खेमचंद पराशर व गौशाला बीड़ सिखांवाला के प्रमुख मलकीत दास ने हाईकोर्ट का रूख किया था।
मालूम हो कि साल 2019 के दौरान गांव कोटसुखिया के डेरा बाबा हरका दास के प्रमुख दयाल दास की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसमें घटना वाले दिन मोगा के गांव कपूरे के रहने वाले बाबा जनरैल दास व अज्ञात लोगों को नामजद किया गया। घटना को अंजाम देने वाले शूटरों समेत अन्य सहयोगियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मुख्य आरोपी जनरैल दास की अभी तक गिरफ्तार नहीं हुई। क्योंकि उसने पुलिस से खुद को बेगुनाह करार दिलवा लिया था।
केस के शिकायतकर्ता गगन दास के पैरवी करने पर आईजी फरीदकोट ने जांच के लिए एसपी गगनेश कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था जिन्होंने जनरैल दास को दोबारा नामजद करने के लिए शिकायतकर्ता गगन दास से रिश्वत मांगी और बाद में उसे आईजी के नाम पर डरा धमकाकर 20 लाख की वसूली कर ली। डीजीपी को शिकायत करने पर डीआईजी फिरोजपुर की अगुवाई में मामले की पड़ताल के बाद एसपी गगनेश कुमार, डीएसपी सुशील कुमार,आईजी दफ्तर में तैनात रहे एसआई खेमचंद पराशर समेत दो अन्य मलकीत दास व जसविंदर सिंह जस्सी के खिलाफ इसी साल 2 जून को थाना सदर कोटकपूरा में केस दर्ज किया गया जिसकी पड़ताल अब विजिलेंस ब्यूरो कर रहा है।