जय हिन्द न्यूज/जालंधर
सरकारी जमीन पर बने पंजाब प्रैस क्लब में सुधार करने और हिसाब की मांग तथा दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाने वाले जुझारू हिन्दु पत्रकारों के साथ धक्केशाही-तानाशाही पर चुप्पी साधे रखना, क्लब में अन्याय करने वालों को प्रशासनिक संरक्षण दिलाना और पत्रकारों के मध्य बढ़ती तनातनी-पत्रकारों के संघर्ष का तमाशा देखना आज पत्रकारिता में अकेले पड़ गए वरिष्ठ पत्रकार बरजिंदर सिंह हमदर्द को काफी खल रहा है।
एक बहुकरोड़ीय घोटाले की जांच में पंजाब विजिलैंस ब्यूरो द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद भी पत्रकारों का उनके पक्ष में लामबंद न होना, संकेत हैं कि काफी संख्या में पत्रकार उनके साथ नहीं है। यही कारण है कि अब वो राहत के लिए विपक्षी दल कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (बादल) को एक मंच पर लाकर सरकार के खिलाफ एक आंदोलन को जन्म देने की कोशिश कर रहे हैं।
जैसा कि गत दिवस वो एक उम्मीद के साथ देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी से मिलकर आए और उसके बाद उक्त घोटाले की जांच को ट्रांसफर करने की मांग के साथ रिट दायर करके माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रूख भी किया। मगर ऐसा करने से पहले वो पत्रकार होने के नाते यह भूल गए कि कानून सभी के लिए बराबर है। अत: माननीय हाईकोर्ट ने जांच केंद्र सरकार की जांच एजैंसी सीबीआई को ट्रांसफर करने से इंकार करते हुए स्टेट एजैंसी को जांच जारी रखने का आदेश दिया है लेकिन कोई भी एक्शन लेने से पहले कोर्ट को सूचित करने के लिए कहा है।
माननीय हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद जैसा कि संभवत: पक्ष में प्रचार भी शुरू करवाया गया कि उनको हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है कि उनको गिरफ्तार करने से पहले विजिलैंस ब्यूरो को सात दिन का नोटिस देना होगा। मगर ऐसा प्रावधान कानून में पहले से ही कि जिन मामलों में सजा 7 साल से कम होती है, उसमें गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस जारी किया जाता है। अत: यह राहत नहीं बल्कि माननीय हाईकोर्ट का नियमित निर्देश है कि इस नियम का पालन किया जाए।
यहां बता दे कि पंजाब के विजिलैंस ब्यूरो ने पत्रकार बरजिंदर सिंह हमदर्द को एक संपादक या पत्रकार होने के नाते नहीं बल्कि एक ऐसी संस्था के प्रधान होने के नाते जांच में तलब किया है, जिस संस्था को जारी करोड़ों की ग्रांट में हेरफेर हुआ है। संबंधित जांच में ब्यूरो पहले ही प्रोजैक्ट नोडल अफसर आईएएस अधिकारी विनय बुबलानी को तलब कर चुकी है और संस्था के महासचिव डा. लखविंदर सिंह जौहल से पूछताछ कर चुकी है, जो बीते समय में पंजाब प्रैस क्लब जालंधर का प्रधान बनाकर पत्रकारों पर थोपा गया था।
उधर, घोटाले की जांच को लेकर पत्रकार जगत में चर्चा आम हो रही है। काफी पत्रकारों की राय है कि यदि वो घोटाले में खुद को शामिल नहीं मानते तो बरजिंदर सिंह हमदर्द को जांच में शामिल होकर अपना पक्ष रखना चाहिए। उनके खिलाफ यदि कोई आरोप विजिलैंस ब्यूरो ने जबरन थोपकर उनको प्रताडि़त करने की कोशिश की, तभी वो उनके पक्ष में सड़कों पर आएंगे। मगर दूसरी तरफ पत्रकारों का यह भी कहना है कि विनय बुबलानी एक विवादित अधिकारी था। उसको प्रौजैक्ट अफसर बनाकर उसके कामकाज की समीक्षा न करना भी हमदर्द को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।
वहीं, काफी पत्रकारों का मानना है कि जिस पत्रकार बीते समय में बरजिंदर सिंह हमदर्द ने पंजाब प्रैस क्लब जालंधर की सत्ता पर अपने कामगारों के जरिए और अपने अखबार के स्टाफ मैंबरों का बहुमत बनाकर सत्ता पर कब्जा जमाए रखे और विद्रोह करने वाले विशेषत: हिन्दु पत्रकारों को तरह-तरह से प्रताडि़त करवाया, वो इस समय उनके गले की फांस बनता जा रहा है। पहले अपनी अखबार के दिवंग्त राम नारायण सिंह, फिर मेजर सिंह को और फिर दूरदर्शन से रिटायर्ड नॉन जर्नलिस्ट एवं अपने यैसमैन लखविंदर सिंह जौहल को एक प्लानिंग के तहत क्लब का प्रधान बनवाया और हाल ही में सतनाम मानक को धक्के से प्रधान बनाने पर पहले मुंह की खाई फिर वोटिंग प्रक्रिया से प्रधान बनवाना पड़ा, पत्रकारों को आज भी भूला नहीं है।
सूत्रों की माने तो बीते समय में जौहल को पंजाब प्रैस क्लब जालंधर का प्रधान इसलिए भी बनाया गया था कि उसको घोटाले वाले प्रोजैक्ट जंग-ए-आजादी की ग्रांट उपयोग करने में शामिल किया जाए। ऐसा कमाल बरजिंदर सिंह हमदर्द के शासनकाल में ही देखने को मिला कि उनका ही फेवरेट अफसर विनय बुबलानी प्रौजैक्ट चीफ, उनका ही यैसमैन लखविंदर सिंह जौहल एक तरफ पत्रकार संस्था का प्रधान तो दूसरी तरफ उनकी उस संस्था का प्रधान जो जंग-ए-आजादी का निर्माण करवा रही।
बहरहाल, घोटाले की जांच को लेकर जैसा माहौल अब बन गया है, उससे साफ है कि आने वाले समय में बरजिंदर सिंह हमदर्द को डीएसपी विजिलैंस के समक्ष पेश होना ही होगा। अब चूंकि उनकी ईमानदारी पर सवाल सीधा तो खड़ा हो नहीं रहा लेकिन कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो साफ है कि अगर उनकी देखरेख में होने वाले किसी सरकारी प्रोजैक्ट की ग्रांट में हेरफेर हुआ है, तो भले प्रत्यक्ष नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदारी बनती ही है क्योंकि करप्शन का लाभ भले पैसे लेकर नहीं होता लेकिन करप्शन करने वाले के काम की अनदेखी करके स्वत: ही उसका भागीदार बनाता है।
अब देखना शेष होगा कि यह मामला क्या करवट लेता है लेकिन एक बात साफ है कि बरजिंदर सिंह हमदर्द को किसी भी तरफ से राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। SSP विजिलेंस जालंधर राजेश्वर सिंह के मुताबिक तलब नोटिस की अवधि 9 जून 2023 को पूरी होगी जिसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।