जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पंजाब पुलिस की सेवा के दौरान जालंधर सिटी थाना 7 के एसएचओ रहते अपने ही थाना में फर्जीवाडे और जालसाजी के आरोप में नामजद हुए रिटायर्ड डीएसपी सोमनाथ कैंथ को जालंधर कोर्ट ने दोबारा जांच में कैंसिल किए एक क्रिमिनल केस में राहत देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने पुलिस की ओर से पेश कैंसलेशन रिपोर्ट को इस आधार पर ठुकराते हुए दोबारा जांच करके रिपोर्ट करने का आदेश जारी किया है कि शिकायतकर्ता पक्ष कैंसलेशन के प्रति एक तो अपनी सहमति देने कोर्ट में नहीं आया। दूसरा यह कि कैंसलेशन रिपोर्ट पहले भी दो बार ठुकराई जा चुकी है और तीसरा यह कि तीसरी बार कैंसलेशन रिपोर्ट पेश करने से पहले की जांच में शिकायतकर्ता पक्ष को बुलाकर दोबारा एग्जामिन नहीं किया गया था।
कोर्ट के इस ताजा फैसले से आरोपी सोमनाथ के साथ थाना 7 के पूर्व एडिशनल एसएचओ स्वर्ण सिंह तथा पूर्व मुंशी बलकार सिंह 2462 सहित भू-माफिया दंपति 627, अर्बन अस्टेट फेज-2 जालंधर निवासी बलविंदर सिंह, इनकी पत्नी जसबीर कौर तथा इनके श्री अमृतसर साहिब के शरीफपुरा निवासी रिश्तेदार जसविंदर सिंह को लंबे समय के बाद झटका लगा है। साल 2009 की घटना के बाद साल 2016 में दर्ज किए इस मामले के सभी आरोपियों के बारे में थाना पुलिस के पास कोई ताजा जानकारी नहीं है। थाना पुलिस का कहना है कि कोर्ट के फैसले की कापी प्राप्त होने के बाद केस रिओपन होगा और सभी आरोपियों का लाइफ स्टेट्स और लोकेशन को देखा जाएगा
भू-माफिया की मदद के लिए कटी थी फर्जी डीडीआर
साल 2009 में रिटा. डीएसपी सोमनाथ कैंथ थाना 7 के इंस्पैक्टर हुआ करते थे कि उस दौरान उनके थाना में एक डीडीआर नंबर 16 जो 13.09.2009 को दर्ज की गई थी। इस डीडीआर के आधार पर भू-माफिया दंपति बलविंदर सिंह व जसबीर कौर ने अपने अमृतसर निवासी रिश्तेदार जसविंदर सिंह के साथ मिलकर एनआरआई सोनपाल सिंह व रोमपाल सिंह के 118 मरले रकबा वाले दो प्लाटों नंबर 253 व 254 पर कब्जे का सिविल कोर्ट से स्टे हासिल कर लिया था जिसकी पावर ऑफ अटार्नी उनकी माता हरजीत कौर थी। डीडीआर में हरजीत सिंह को शिकायतकर्ता बनाकर पुलिस के पास यह गुहार किए जाने को रिकार्ड किया गया था कि उनके प्लाटों पर बलविंदर सिंह व जसबीर कौर का कब्जा है जिसको हटाने में उनकी मदद की जाए। केस की सुनवाई के दौरान हरजीत कौर के सामने यह तथ्य आया कि पेश की डीडीआर नंबर 16 उनकी शिकायत पर दर्ज की गई जबकि वो कभी भी उस तारीख को क्या पूरा साल जालंधर ही नहीं आई थी। इस आश्य का दावा पेश करने पर कोर्ट ने स्टे हटाकर दावा खारिज कर दिया था और दूसरी तरफ पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर फर्जी डीडीआर दर्ज करने को लेकर केस दर्ज करने का आदेश जारी किया था।
तीन एसपीज के दोषी ठहराने पर भी कमिश्नर ने बख्श दिया था
हैरत की बात यह भी रही कि कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुए मामले की जांच एस.पी स्तर के तीन अफसरों से जो जालंधर में एडिशनल डिप्टी कमिश्नर पद पर तैनात रहे थे, ने एक के बाद एक ने की और सभी आरोपियों को दोषी ठहराया लेकिन तत्कालीन पुलिस कमिश्नर गौरव यादव जो कि वर्तमान डीजीपी पंजाब है, ने जांच रिपोर्टों से असहमत होकर केस को कैंसिल करने की सिफारिश की थी। उनके फैसले के आधार पर थाना 7 पुलिस लगातार केस की कैंसलेशन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करती आ रही है लेकिन कोर्ट उसे नामंजूर करके वापस भेज रही है जिससे प्रभावित पक्ष काफी परेशानी में महसूस कर रहा है क्योंकि वो कोसों मील दूर मुंबई में रहता है जिसको इस जांच रवैये के प्रति कड़ा ऐतराज भी है और उन्होंने उच्च कोर्ट से पंजाब पुलिस को फटकार भी लगवाई है। बहरहाल, अब देखना शेष होगा कि थाना 7 पुलिस इस मामले में अगला कदम क्या उठाती है। ऐसा कहा जा सकता है कि यदि थाना पुलिस कार्रवाई की तरफ रूख करती है तो रिटायर्ड डीएसपी सोमनाथ कैंथ सहित अन्य पुलिस वालों व लैंडमाफिया मैंबरों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।