जय हिन्द न्यूज/जालंधर
भ्रष्टाचार और अवैध धंधों पर अंकुश लगाने के सिटी पुलिस कमिश्नर के फार्मूले की अब मताहत मुलाजिम ही हवा निकाल रहे हैं। शहर के पॉश इलाके माडल टाउन और सघन पीपीआर मार्किट में पनप चुके हुक्के, सट्टे व "हैप्पी एैंडिंग स्पा" के अवैध धंधों पर जो बड़े अफसरों ने बीते दिनों लगाम कसी थी वो अब ढीली होती दिखाई दे रही है।
हैरत की बात यह कि यह लगाम अफसरों की लापरवाही या अनदेखी से नहीं बल्कि उनके अपने ही करीबी व खास बने फिरते मताहत मुलाजिमों की वजह से ढीली हो रही है। सूत्रों की माने तो अफसर जिन मताहत अफसरों को भेजकर रेकी करवाते थे, अवैध धंधेबाजों ने उनको ही "गंड" लिया है ताकि अफसरों तक कोई रिपोर्ट सही न पहुंचे।
अब सवाल यह उठता है कि सत्तापक्ष और पुलिस कमिश्नर गुरशरण सिंह संधू ने जिस उद्देश्य के साथ एडीसीपी-2 की पोस्ट पर डायरैक्ट आईपीएस अफसर आदित्य और एसीपी-माडल टाउन की पोस्ट पर डायरैक्ट पीपीएस अफसर खुशबीर कौर को कानून की सख्ती बढ़ाने के लिए तैनात करवाया है, उस फार्मूले की मताहत मुलाजिम ही हवा निकाल कर उस उद्देश्य का ही कत्ल कर रहे हैं।
वहीं, बात करें इन पुलिस अफसरों की तो यह अपने व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालकर खुद फिजीकल चैकिंग करने में ज्यादातर अक्षम ही रहते हैं और फील्ड रिपोर्ट्स के लिए मताहत मुलाजिमों पर ही निर्भर रहते हैं। अत: जब भी कोई अवैध धंधे की सूचना किसी भी माध्यम से इन अफसरों तक पहुंचती है तो यह मताहत मुलाजिम ही फील्ड जानकारी जुटाकर अफसरों को वो सूचना तस्दीक करते हैं और ट्रैप बनाकर रेड तक करवाते हैं।
अब होता यह है कि किसी अवैध धंधेबाज का इक्का-दुक्का "कम्म" कड़वा के यह मुलाजिम "अमित-गोपी" की तरह खास बन जाते हैं और जब अवैध धंधेबाज की अफसरों के साथ सैंटिंग नहीं हो पाती तो फिर यही मुलाजिम उस अवैध धंधेबाज के साथ सैटिंग कर लेते हैं कि वो अफसरों को यही रिपोर्ट करे कि अब अवैध धंधे बंद हो गए हैं जबकि अवैध धंधे बदस्तूर जारी रहते हैं।
आइए अब बताते है कि बीते दिनों के दौरान ऐसा होना तस्दीक कैसे हुआ। दरअसल, मीडिया ने जब अपने स्तर पर पुलिस के पक्के डिफॉल्टर यू एंड मी, एैरिश-जार्ज (लेजी मक्कड़), ग्लासी हुक्का बार समेत पीपीआर के कुछ बेनामी ठिकानों पर कुछ लड़कों की विजिट करवाई तो पाया कि सारा काम धड़ल्ले से जारी है। और तो और वहां बिना परमिट शराब भी परोसी जा रही है जो कम उम्र के बच्चों को भी परोसी जा रही है।
भेद तो तब खुला जब जब इस बारे में एडीसीपी-2 आदित्य से और एसीपी खुशबीर कौर से बात की गई तो उन्होंने दावा कि उनकी जानकारी के मुताबिक अब सभी जगह पर अवैध धंधे बंद हो चुके हैं लेकिन दोनों अफसर अपनी फिजीकल विजिट या चैकिंग को स्पष्ट नहीं कर पाए और दोनों ने यह दावा मताहत मुलाजिमों की रिपोर्ट के आधार पर किया।
बहरहाल, अब देखना शेष होगा कि सिटी पुलिस कमिश्नर गुरशरण सिंह संधू और सत्तापक्ष के जालंधर कैंट हल्का इंचार्ज रिटा. आई.जी सुरिंदर सिंह सोढी के कानों तक यह बात पहुंचने के बाद हलके के दोनों बड़े अफसर एडीसीपी आदित्य और एसीपी खुशबीर कौर खुद फिजीकल विजिट बनाने में कब कामयाब होते हैं ताकि मताहत अफसरों के साथ हुई अवैध धंधेबाजों की सैटिंग का पर्दाफाश हो सके।