जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पंजाब पुलिस की जाबांजी के किस्सों के बीच बेइंसाफी करने के कारनामे का एक और किस्सा अदालत के गलियारे में जगजाहिर हुआ है। जमीन के मालिकाना हक पर आधारित मामले की प्राथमिक जांच के दौरान न्याय करते वक्त जो तस्दीकी पुलिस को उसी वक्त पटवारी से करनी चाहिए थी, उसे डिफैंस लॉयर हरजोतपाल सिंह भसीन को पटवारी को अदालत के कटघरे में बुलाकर करवानी पड़ी।
पंजाब सरकार के जस्टिस डिलीवरी सिस्टम दावों के बीच पुलिस की धक्केशाही के शिकार परिवार की दास्तां भी ऐसी कि जालंधर की देहाती पुलिस ने एक परिवार को अपनी ही पुश्तैनी जमीन हथियाने के आरोप में नामजद कर लिया। अंतत: करीब पांच साल लंबी चली कानूनी प्रक्रिया के बाद परिवार को आज आरोप मुक्त करार दिया गया।
स्थानीय काला सिंघा रोड स्थित पिंड पवार निवासी एनआरआई सुखदेव सिंह जोकि खुद इंग्लैंड में रहता है, ने पुलिस को बताया था कि वो पवार पिंड स्थित 15 कनाल 4 मरले चाही जमीन (कृषि भूमि) का मालिक है लेकिन एक परिवार के तीन सदस्य उसके चौंकीदार प्रीतम सिंह तथा पावर ऑफ अटार्नी विल्सन को रोकते हैं और खुद उस जमीन पर खेती करके उसकी फसल को बेचकर कमाई करते हैं।
जालंधर देहाती पुलिस की जांच पर भी सवाल कि मामला लांबड़ा थाना क्षेत्र का लेकिन जांच भोगपुर थाना के तत्कालीन प्रभारी लखबीर सिंह लक्खी से करवाई गई। इस जांच के दौरान जमीन की मलकीयत की तस्दीकी के तथ्य को तस्दीक किए बिना पुलिस ने शिकायत के आधार पर चौंकीदार प्रीतम दास और पावर ऑफ अटार्नी विल्सन की गवाही के आधार पर पिंड पवार काला संघिया परमजीत सिंह पुत्र स्वर्णा राम, इसकी पत्नी सर्बजीत कौर तथा पुत्र गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 447, 506, 511, 34 के तहत केस दर्ज करने की सिफारिश की।
अब देहात पुलिस के अधिकारियों का विवेक भी देखिए कि उन्होंने भी तथ्यों को अनदेखा करते हुए थाना लांबड़ा पुलिस को तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। अत: दिनाक 04.10.2016 को तीनों के खिलाफ क्रिमिनल केस नंबर 103 दर्ज किया गया और गिरफ्तारी भी डाली गई जबकि शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों सगे भाई थे और विवादित जमीन सरकारी रिकार्ड में दोनों की दादी कर्मी के नाम बोलती थी।
पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दायर की और शिकायतकर्ता सुखदेव सिंह खुद गवाही देने भारत आया था। दोनों पक्ष पांच सगे भाई व पांच सगी बहनें हैं लेकिन कोई भी इस मामले में नहीं आया न बुलाया गया। खुद शिकायतकर्ता नहीं माना कि विवादित जमीन सांझी है लेकिन जैसे ही डिफैंस लॉयर हरजोत पाल सिंह भसीन ने हलका पटवारी को कटघरे में एग्जामिन किया तो उसके यह तथ्य तस्दीक करते ही कि जमीन शिकायतकर्ता और आरोपी पक्ष की माता के नाम पर है और सांझी है, पुलिस का बनाया केस ताश के पत्तों की तरह धराशाही हो गया।
श्री भसीन ने कहा कि अब यह मामला झूठे केस में फंसाने का बनता है और मेरे क्लाइंट्स की मलेशियस प्रॉसीक्यूशन हुई है इसलिए उनको मानहानि, क्षतिपूर्ति से जुड़े सिविल-क्रिमिनल केस बारे सलाह दे दी गई है। उनकी सहमति मिलने के बाद इस संबंधित मामले दायर किए जाएंगे जिसमें शिकायतकर्ता, गवाह समेत सरकार को भी पार्टी बनाया जाएगा।
Important: fact of the news and detail given, attested by defence lawyer.