जय हिन्द न्यूज/जालंधर
ठगी-जालसाजी की इंतहा और क्या होगी कि दशकों पहले मर चुके लोगों को शातिर लोग आज जिंदा बताकर उनकी जमीनों को बेचने-खरीदने में लगे हैं। माडल हाउस जालंधर के रायल पैलेस वाले आनंद वर्मा उर्फ आशु के खिलाफ ऐसा ही मामला हाल ही में दर्ज हुआ था और उसमें जमानतों का खेल अभी जारी ही है कि दूसरा ऐसा एक और सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है।
ताजा मामले में करीब 30 साल पहले मर चुके व्यक्ति को जिंदा बताकर उसके फर्जी दस्तावेजों के सहारे एक जमीन की जालंधर की भ्रष्ट तहसील से रजिस्ट्रेशन करवा ली। हैरत की बात यह कि संबंधित मालिकाना पक्ष की ओर से इस जमीन को लेकर पहले ही कोर्ट से स्टेआर्डर लैंड रजिस्ट्रेशन अफसर को करवा रखा था लेकिन भ्रष्टाचार के नशे में चूर में एक रजिस्ट्रेशन अफसर ने कानून को छिक्के टांगकर ठगी-जालसाजी के इस खेल को बेखौफ होकर अंजाम दे डाला।
अंजाम, भेद खुला और शिकायत हुई। ठग-जालसाजों की किस्मत भी इतनी खराब कि डिप्टी कमिश्नर ने जांच एसडीएम यानि मैजिस्ट्रेट को मार्क कर दी जिसने अपनी रिपोर्ट में तीन लोगों को प्रथम दृष्टया आरोपी करार दिया। खुलासा यह हुआ कि एक ऐसे मृत व्यक्ति की जमीन की रजिस्ट्री करवाई है जिसकी मौत 26.09.1991 को हो चुकी है।
अत: जांच रिपोर्ट के आधार पर कानूनी राय लेने के बाद सिटी पुलिस ने 144 आदर्श नगर जालंधर निवासी तथा श्री सनातन धर्म गीता मंदिर आदर्श नगर जालंधर के प्रधान समीर मरवाहा उर्फ गोल्डी मरवाहा पुत्र लेट श्री विजय मरवाहा तथा इनके भाईवाल 37 पारस एस्टेट जालंधर निवासी कुणाल शर्मा पुत्र विश्वामित्र शर्मा को मुख्य आरोपी मूलत: उत्तर प्रदेश तथा स्थानीय 488 शहीद बाबू लाभ सिंह नगर जालंधर निवासी गुलवंत सिंह (नकली हरिंदर कुमार जैन) के साथ नामजद कर लिया है।
थाना नई बारादरी में आईपीसी की धारा 419, 420 तथा पंजाब लैंड रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 82 के तहत दर्ज मामले में तीनों को जिला प्रशासन स्तरीय मैजिस्ट्रेट जांच के आधार पर नामजद किया गया है। जांच में स्पष्ट तौर पर फाइडिंग दी गई है कि यदि जांच के दौरान किसी अन्य की शमूलियत या नए जुर्म सामने आते हैं, तो उसमें तथ्यों व सबूतों के आधार पर इजाफा किया जा सकता है।
अब जानिए क्या है यह मामला
सिटी पुलिस के पास 488, गली नंबर 6/3, शहीद बाबू लाभ सिंह नगर निवासी विधवा महिला रछपाल कौर पत्नी लेट गुलवंत सिंह ने शिकायत दी थी कि उनके घर की जमीन को लेकर स्थानीय अदालत से स्टेआर्डर जारी था कि उसकी खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती। आरोप लगाया कि उनके पति गुलवंत सिंह की मौत 1981 में हो गई थी। यह भी बताया कि संबंधित जमीन को लेकर स्टेआर्डर जारी था लेकिन बावजूद इसके भ्रष्टाचार में डूबे जालंधर के लैंड रजिस्ट्रेशन अफसर ने मृत पति की फर्जी पहचान बनाकर पेश हुए व्यक्ति के एग्रीमैंट के आधार पर मेरी जमीन की रजिस्ट्री समीर मरवाहा उर्फ गोल्डी तथा कुणाल शर्मा के नाम पर कर दी। गुहार लगाई कि अब आरोपी समीर उर्फ गोल्डी मरवाहा तथा कुणाल शर्मा मेरी जमीन पर कब्जा करना चाहते है और उसे आगे किसी को बेचने की ताक में हैं।
आरोपी गोल्डी बोला, हम बेगुनाह
उधर, केस दर्ज होने के बाद क्रिमिनल केस में नामजद किए समीर मरवाहा उर्फ गोल्डी मरवाहा ने संपर्क करने पर अपना पक्ष रखा कि उनके साथ जिला प्रशासन ने बेइंसाफी की है। एक पक्ष को सुनकर ही केस दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया गया जबकि खरीददार को किसी भी सूरत में आरोपी बनाना माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। आरोपी गोल्डी ने कहा कि यदि कोई भी ठगी या जालसाजी हुई है तो यह बेचने वाले पक्ष तक सीमित है क्योंकि हमने संबंधित जमीन पर कोई कब्जा करने की कोशिश नहीं बल्कि पैसे देकर खरीदा है। यदि ऐसे में कोई व्यक्ति गलत दस्तावेज पेश करके हमें जमीन बेचता है, तो सिर्फ उसके खिलाफ केस होना चाहिए और हमको बतौर गवाह और नुक्सान झेलने वाला पक्ष बनाना चाहिए। हालांकि अपना पक्ष पेश करने के दौरान गोल्डी ने यह भी कहा कि उनको अपने पार्टनर कुणाल शर्मा की गलती के खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। गोल्डी ने दावा कि शिकायत करने वाली महिला और जमीन बेचने वाले व्यक्ति के बीच पहले सांठ-गांठ थी लेकिन कुछ समय पहले उसने भी नकली जमीन मालिक जो उसका नकली पति बनकर चल रहा था, के खिलाफ केस दर्ज करवाया है जिसका खुलासा जल्द किया जाएगा।