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एमजीएन ट्रस्ट विवाद: राय गुट को पसरीचा गुट का एक और कानूनी झटका, रंग ला रही रमनीक की मेहनत, राय गुट को तानाशाही फैसले लेने पर मिल रही कदम-कदम पर पटखनी, पढ़िए कोर्ट ने ऐसा क्या दिया फैसला

By RAJESH KAPIL

Published on 22 Sep, 2021 06:36 PM.

                           जय हिन्द न्यूज/जालंधर

यहां के बहुचर्चित एवं अति विवादित शिक्षण समूह मोंटगुमरी गुरुनानक ऐजुकेशनल ट्रस्ट यानि एमजीएन ट्रस्ट के प्रबंधन को लेकर एक नई खबर सामने आई है। प्रबंधन पर हावी और तानाशाही रवैया अपनाने के आरोपी राय गुट को अपदस्त पसरीचा गुट के एक और लाइफ मैंबर से कानूनी पटखनी मिली है।

 

 

 

 

 

जानकारी मिली है कि स्थानीय अदालत ने एमजीएन प्रबंधन ट्रस्ट पर काबिज चरणजीत सिंह राय के गुट की ओर से अपदस्त किए जरनैल सिंह पसरीचा गुट के एडवोकेट सुदर्शन सिंह बैंस को ट्रस्ट के लाइफ मैंबर पद से हटाकर एडवोकेट भगवंत सिंह संघा को ट्रस्ट मैंबर जाने के फैसले पर स्टेआर्डर जारी कर दिया है। श्री बैंस के वकील मंदीप सिंह सचदेव ने इस आश्य की पुष्टि की है।

 

 

 

 

 

कोर्ट के ताजा फैसले के बाद अब प्रबंधकीय ट्रस्ट में पसरीचा गुट के दोनों मुख्य मैंबरों की वापिसी दर्ज हो गई है क्योंकि श्री बैंस को स्टेआर्डर मिलने से पहले पसरीचा के दामाद रमणीक सिंह भी कोर्ट से स्टेआर्डर लेकर वापिस प्रबंधकीय ट्रस्ट में अपने पैर अंगद महाराज की तरह जमा चुके हैं जिसको हटाने के लिए राय गुट ऐढ-चोटी का जोर लगा रहा है।बहरहाल, कोर्ट ने स्टे एप्लीकेशन का निपटारा करते हुए कोर्ट ने केस को लेकर इशू भी फ्रेम कर दिए हैं जिनको आधार बनाकर केस सुना जाएगा और उसका निपटारा किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई नवंबर महीने में होगी। बताते चले कि इसी साल 2021 के दौरान राय गुट को पसरीचा गुट का यह दूसरा बड़ा कानूनी झटका है।

 

 

 

 

 

               पढ़िए क्यों पनपा था यह विवाद

दरअसल, विवाद तब पनपा था जब एमजीएन ट्रस्ट पर राय गुट ने किन्हीं कारणों के चलते कमजोर चल रहे राय गुट ने कब्जा जमा लिया था। आरोप है कि राय गुट ने तानाशाही दिखाते हुए एकतरफा फैसला लेकर पहले पसरीचा के दामाद रमणीक को लाइफ मैंबर पद से अपदस्त कर दिया और बाद में विदेश घूमने गए एडवोकेट सुदर्शन सिंह बैंस को लाइफ मैंबर के पद से अपदस्त कर दिया।

 

 

 

 

 

जैसी कि चर्चा है कि पहले तो जरनैल सिंह पसरीचा अपने स्तर पर इसका विरोध दर्ज करते रहे मगर जैसे ही रमणीक ने अपनी मानहानि को महसूस करते हुए अदालत का रूख किया तो कानूनी राय लिए बिना लिए राय गुट के फैसलों का महल ताश के पत्तों की तरह ढहना शुरू हो गया जिसका नतीजा यह ताजा मामला भी सामने है। बता दे कि साल 2020 तक पसरीचा गुट पर हावी होता चला आ रहा राय गुट साल 2021 में उस समय कमजोर होता दिखने लग गया था जब जरनैल सिंह पसरीचा के दामाद रमनीक सिंह ने कानूनी लड़ाई की कमान संभाली थी।

 

 

 

 

 

संपर्क करने पर रमणीक ने कहा कि राय गुट खुद को ही कानून से ऊपर समझने लगा था और मनमाने ढंग से ट्रस्ट की कार्यवाही का संचालन करके फैसले लेने लगा था जिसकी कानून की नजर में कोई वैल्यू नहीं थी। कोर्ट के एक के बाद राय गुट के खिलाफ हो रहे फैसले इसका प्रमाण है। रमणीक ने कहा कि जल्द ही ट्रस्ट को राय गुट से मुक्त करके पुन: लोकतांत्रिक माहौल को बहाल किया जाएगा।

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