जय हिन्द न्यूज/जालंधर
एलपीयू के विदेशी स्टूडैंट यानिक निक्की की हत्या के करीब दशक पुराने मामले में दोषी करार एक आरोपी हर्ष गोसाईं को सिटी पुलिस ने आईपीसी की धारा 406, 506 व 34 के तहत दर्ज फ्राड के एक नए केस में पिता रविंदर कुमार गोसाईं समेत नामजद किया है।
चचेरे भाई के साथ एक प्राइवेट फर्म में पार्टनर आरोपियों की तलाश में थाना नई बारादरी पुलिस अब छापेमारी कर रही है। वहीं, ज्ञात हुआ है कि गिरफ्तारी से बचते फिर रहे दोनों फरार आरोपियों हर्ष गोसाईं और रविंदर कुमार गोसाईं ने राहत के लिए जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर करके राहत की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक दोनों फरार आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई 15 सितंबर यानि आज हुई जहां सुनवाई 16 सितंबर के लिए स्थगित कर दी गई है। सूत्रों की माने तो शिकायत पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ और भी कई सनसनीखेज दस्तावेजी प्रमाण जुटा लिए है जिसको कल अदालत में पेश किया जाएगा।
अब जानिए क्या है मामला
फ्राड का यह नया मामला 336 न्यू जवाहर नगर, जालंधर निवासी मधुर विक्रम पुत्र बिक्रमजीत गोसाईं की शिकायत पर दर्ज हुआ है। सिटी पुलिस की जांच के बाद में सामने आया है कि शिकायतकर्ता मधुर विक्रम और आरोपी उसका चाचा रविंदर कुमार गोसाईं लाडोवाली रोड जालंधर स्थित एक फर्म गोसाईं वेयर हाउस कारपोरेशन के पार्टनर थे। पार्टनरशिप डीड 05.08.2010 को लिखी गई थी जिस मुताबिक दोनों पक्ष बराबर के हिस्सेदार थे और बैंक खाता जो कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, माडल हाउस ब्रांच में है, भी बराबरी के हिसाब से आपरेट होना तय था। बीते समय के दौरान शिकायतकर्ता मधुर विक्रम को पता चला कि चाचा ने मदन फ्लोर मिल चौक जालंधर स्थित एचडीएफसी बैंक ब्रांच में कंपनी के नाम से खुद को प्रोप्राइटर बताकर नया खाता आपरेट करना शुरू कर दिया है जिसमें कंपनी के नाम का लेन-देन करना शुरू कर दिया है। इसका विरोध किया तो यानिक निक्की मामले की तरह फरार आरोपी हर्ष गोसाईं ने चचेरे भाई के दरवाजे पर शराब-बीयर की बोतलें बरसाई जो यह सारे आरोप जांच में साबित हुए।
अब जानिए पुलिस ने कैसे की मदद
एफआईआर दर्ज करने से पहले पहले हुई प्राथमिक जांच के दौरान "मिश्री की डल्ली" जैसी मीठी-मीठी बातें करने वाले पुलिस अधिकारी एडीसीपी हरविंदर सिंह डल्ली ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह तो देख लिया कि पार्टनरशिप डीड को दरकिनार करके फर्म के जाली दस्तावेज बनाकर आरोपियों ने दूसरी फर्म तैयार की और खुद को उसका प्रोप्राइटर बताकर एक सी.ए की मदद से एक नया बैंक खाता खुलवाकर ठगी-जालसाजी को अंजाम दिया लेकिन बेहद शातिराना ढंग से पेश की जांच रिपोर्ट में इस जालसाजी का जिक्र तक नहीं किया। अब दूसरा खेल देखिए कि हाल ही में 3.5 करोड़ रुपए की कोठी बेचने वाले आरोपियों की फाइल एडीसीपी डल्ली से कम कानून जानने वाले पहलवान एडीसीपी सिटी-1 जगजीत सिंह सरोआ को जांचने के लिए भेज दी जिनकी तरफ से भी काफी नुकते पेश करके फाइल को काफी दिन अपने पास रखकर आरोपी पक्ष का तेल निकाला गया और उन्होंने भी जालसाजी से पर्दा नहीं उठाया।
यही नहीं, अब और सुनिए
चूंकि आरोपी पार्टी काफी मालदार थी और काफी गेमबाज भी, तो ऐसे में फाइल को एक बार फिर खिलाड़ी पुलिस अफसर डीसीपी (ट्रेफिक) नरेश कुमार डोगरा के पास जांचने के लिए भेजा गया। हालांकि इस फाइल पर सरकारी वकील की राय भी आ चुकी थी और एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी जारी हो चुका था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने भी फाइल को पूरा प्ले किया और अपना गोल करने में कामयाब रहे। अत: 29.09.2020 को पेश शिकायत पर करीब एक साल बाद जाकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी हुआ।