जय हिन्द न्यूज/जालंधर
भारत-पाकिस्तान को लेकर जारी खबरों के बीच एक अनोखी खबर भारतीय पंजाब से सामने आ रही है। भारत के कानून क्षेत्र से जुड़ी इस खबर ने पूरे न्यायपालिका को सकते में डाल दिया है।
हैरतअंगेज यह कि इसमें वकील और कोर्ट दोनों बराबर के जिम्मेदार माने जा रहे है। और वो खबर यह है कि भारतीय पंजाब के जिला जालंधर की कोर्ट में एक वकील ने कोर्ट में एक सिविल केस पाकिस्तान पंजाब के कानून "THE PUNJAB PARTITION OF IMMOVABLE PROPERTY ACT 2012" के तहत दायर कर दिया है।
अब अंधा कानून की बानगी भी देखिए कि यह केस जिस कोर्ट में दायर किया गया उस कोर्ट ने भी बिना कानून की परख किए संबंधित पक्षों को सम्मन जारी कर तलब कर लिया है। अब गलती जज की है या नहीं, यह देखना न्यायिक प्रशासन का काम है। मगर एक बात तो साफ है कि पहली गलती उस वकील की है जिसने बिना कानून की परख किए यह केस तैयार करके कोर्ट में दायर कर दिया।
जिला जालंधर की नकोदर सब डिवीजन में दायर किया सुरजीत कौर बनाम बलविंदर कौर एवं अन्य केस दरअसल यहां के गांव चांनीयां के एक प्रापर्टी विवाद पर आधारित है। याची सुरजीत कौर के वकील ने इस केस में गांव के ही 1० लोगों को पार्टी बनाया है जिनको कोर्ट से इस बाबत सम्मन भी प्राप्त हुए हैं।
विचाराधीन केस से जुड़े प्रतिवादियों की ओर से जैसे ही अपने वकीलों को संपर्क किया गया तो केस को लेकर कानून क्षेत्र में हो-हल्ला हो गया है। इस केस को लेकर जहां वकीलों में वकील के प्रति चर्चा हो रही है, वहीं ज्ञात हुआ है कि न्यायिक क्षेत्र भी इस गंभीर मामले का संज्ञान लेने जा रहा है। बहरहाल, मामला न्यायिक क्षेत्र में नई चर्चा को जन्म दे गया है।
उधर, लैंड रैवेन्यू केसों के माहिर एडवोकेट बी.एस. लाली का कहना है कि अदालतों पर काम का बोझ होने के कारण यह रूटीन में होने वाली गलती लग रही है। संज्ञान लेकर कोर्ट इस डिफैक्टिव प्लेंट को रिटर्न करके नए एक्ट के तहत प्लेंट दायर करने का आदेश जारी कर सकती है।