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नकली टॉयलेट क्लीनर "HARPIC" विक्रेता को सिटी पुलिस ने धरा, केस दर्ज कर गिरफ्तारी भी दिखाई मेहरबानी भी, पढ़िए पुलिस की दोगली नीति की दास्ताँ

By RAJESH KAPIL

Published on 03 Sep, 2021 08:06 PM.

            जय हिन्द न्यूज़/जालंधर

 

 

दोगली नीति से दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी पंजाब पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है। पंजाब की जालंधर सिटी पुलिस ने आज भले ही एक काम पब्लिक से हो रही ठगी को रोकने का किया लेकिन जनता का भला करते-करते काबू आरोपी का भी भला कर दिया।

 

 

 

 

 

 

दरअसल, सिटी की थाना 3 पुलिस ने ब्रांड प्रोटेक्शन प्राइवेट लिमिटेड के राजिंदर सिंह पुत्र गुरपाल सिंह की शिकायत पर एक्शन लेते हुए अटारी बाजार स्थित डोगर मल्ल-चरणजीत लाल फर्म के मालिक को नकली टॉयलेट क्लीनर "HARPIC" बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया और ब्रांड की 37 नकली तैयार बोतलों को जब्त दिखाया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

थाना 3 के SHO मुकेश कुमार की ज़ुबान से यह खबर जब सामने आई तो PRESS NOTE  में अपनी "बल्ले-बल्ले" की दास्तां सुनाते हुए बताया कि आरोपी वरिंदर कुमार पुत्र नंद किशोर निवासी E.E 118 कृष्णा गली, भगत सिंह चौक जालंधर के खिलाफ कॉपी राइट एक्ट 1965 की धारा 63/65 के तहत मामला दर्ज किया है।

 

 

 

 

 

 

 

अब जैसे ही उनकी "बल्ले-बल्ले" वाले press note के शब्द खत्म हुए तो कानूनविदो की opinion और हाल ही में दर्ज मिलते-जुलते मामलों में IPC की धारा 420, 465, 467, 471, 120-B इत्यादि लगाने से उनकी "थैल्ले-थैल्ले" होती भी दिखाई देने लगी।

 

 

 

 

 

 

 

सवाल भी वाजिब, जब नकली प्रोडक्ट बनाया उसके लिए जनता को साजिश के तहत ठगने की नीयत से लिक्विड तैयार किया गया, हूबहू बोतलें बनवाई गई, KONIKA MINOLTA प्रिंटर से कागज पर स्टीकर प्रिंट करवाए और गत्ते के बॉक्स। अब इन सब की परिभाषा IPC में साफ शब्दों में दी गई है लेकिन थाना 3 पुलिस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

 

 

 

 

 

सूत्र दावा कर रहे हैं कि रेड के बाद एकाएक बाजार वालों का संभवतः बेरी-हैनरी" के जरिए अफसरों पर दबाव बना ताकि कमज़ोर धारा में इस केस की जमानत तत्काल हो जाए जबकि अफसरों का इस आशय को लेकर हर बार की तरह इस बार भी खंडन ही दर्ज हुआ है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि जमानत होने के बाद संगीन जुर्म की धारा लगने पर रिहा आरोपी को दोबारा जमानत नहीं लेनी होती।

 

 

 

 

अब देखना शेष होगा कि अब "On merits" की बातें करने वाले बड़े अफसर इस मामले का संज्ञान लेते है या राजनेताओं के सामने खुद को बोना मानकर शर्म से मुंह पर अदृश्य पट्टी चिपका के अपने मन ही मन "राजनीतिक मंत्रों" का उच्चारण करने में लीन होते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

अब सुनिए थाना 3 के SHO क्या बोले

"बाकी मामलों का मुझे पता नहीं' इस केस में "PRIMA FACIE" यह ही केस बनता था, जो दर्ज किया गया है, दौरान-ए-तफ्तीश वाधा दोषी और वाधा जुर्म किया जाएगा"

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