जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पापा के परम मित्र की मौत के 16 साल बाद एग्जीक्यूट की गई पॉवर ऑफ अटार्नी से एग्रीमैंट टू सेल एग्जीक्यूट करने के मामले में बतौर किंगपिन बताए जा रहे फरार आरोपी माडल हाउस के रॉयल पैलेस के संचालक आनंद वर्मा उर्फ आशु वर्मा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अब नया दांव खेला है।
माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की एक याचिका में फरार आरोपी आनंद वर्मा उर्फ आशु ने लैंड स्कैम वाली प्रापर्टी बेचने के लिए एग्ज़ीक्यूट किए एग्रीमैंट टू सेल पर अपने हस्ताक्षर होने से ही इंकार कर दिया है।
दरअसल, स्थानीय सैशन कोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी अंतरिम राहत मिलने के बावजूद खारिज होने के बाद फरार आरोपी आनंद वर्मा उर्फ आशु वर्मा ने अब इस संगीन जुर्म वाले केस में अप्रत्यक्ष तौर पर राहत पाने के लिए माननीय हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है।
गत दिवस इस दायर की याचिका पर सुनवाई हुई । फरार आरोपी आशु के वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष इस केस की जांच सांईटिफिक ढंग से न किए जाने की दलील पेश की और जांच के दौरान आरोपी की एक रिप्रेसैंटेशन को टेकअप न किए जाने का आरोप भी कमिश्नरेट पुलिस जालंधर पर लगाया।
वहीं, पंजाब सरकार के वकील ने याचिका पर नोटिस स्वीकार करते हुए माननीय हाईकोर्ट को सूचित किया कि ऐसी कोई रिप्रेसैंटेशन आरोपी आनंद वर्मा की ओर से 08.01.2020 को पेश नहीं की गई है। साथ ही कहा कि यदि पेश की जाएगी तो उसका निपटारा कानून प्रक्रिया मुताबिक किया जाएगा।दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय हाईकोर्ट के बैंच ने फरार आरोपी को बिना कोई अंतरिम राहत देते हुए इस याचिका की सुनवाई 23.11.2021 के लिए स्थगित कर दी।
याची आनंद वर्मा को दो सप्ताह के भीतर अपनी फ्रैश रिप्रेसैंटेशन पेश करने के लिए कहा है। अंतरिम आदेश में माननीय हाईकोर्ट ने सिटी पुलिस को उसका निपटारा एग्रीमैंट टू सेल पर दर्ज आरोपी आनंद वर्मा के हस्ताक्षरों की रिपोर्ट सीएफएसएल लैब चंडीगढ़ से रिपोर्ट लेकर करने की ताकीद दी गई है। बहरहाल, फरार आरोपी आनंद वर्मा उर्फ आशु वर्मा की मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं दे रही है। हाईकोर्ट में वजनदार दलील पेश करने के बाद भी अंतरिम राहत न मिलने से गिरफ्तारी की तलवार सिर पर लटकी रह गई है।
कानूनी माहिरों की माने तो इस मामले में फरार आरोपी आनंद वर्मा को अग्रिम जमानत का लाभ दिलाने के लिए कानूनी बेस तैयार करना जरूरी था जो इस याचिका के तर्क के आधार पर तैयार कर लिया गया है जिससे आरोपी को अंतरिम राहत का रास्ता साफ हो सकता है।
फ्लैशबैक स्टोरी
एक व्यक्ति की मौत 2002 में हो गई थी। उनकी मौत के करीब 16 साल बाद उनका आधार कार्ड बनवाया गया। उनकी जगह किसी और को खड़ा करके उनकी जमीन की पॉवर ऑफ अटार्नी तैयार की गई जिसको तहसील में सक्रिय एक कम्पयूटर ब्रेन पत्रकार का इस्तेमाल करके बिना गहरी जांच व पूछताछ के रजिस्टर्ड करवा लिया गया। इस खेल में रायल पैलेस के जनरल मैनेजर दीपक रज्जाक को चुना गया जो इस आश्य का खुलासा भी कर चुका है कि यह सारा काम उसने अपने पैलेस के मालिक आनंद कुमार उर्फ आशु वर्मा के कहने व लालच देने पर किया था जबकि जिसको मृत व्यक्ति के स्थान पर खड़ा करके पेश किया गया था, उसने भी आरोपी आशु पर दो लाख रुपए का लालच देने के आश्य का खुलासा कर दिया था। अत: इस मामले में कुछ माह पूर्व ही सिटी पुलिस ने आईपीसी की संगीन जुर्म वाली धाराओं 406, 420, 465, 467, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया था जिसकी जांच के दौरान यह तथ्य उभर कर सामने आया था कि इस लैंड स्कैम को फरार आरोपी आनंद वर्मा उर्फ आशु ने कुछ राजनेताओं, पत्रकारों व भू-माफिया के साथ मिलकर अंजाम दिया था जिसकी हिरासती पूछताछ में यह सारे खुलासे करवाने अत्यंत जरुरी है।