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जालंधर वेस्ट के प्रॉपर्टी महाठगी कांड में नया अपडेट, एक फरार आरोपी की जमानत अर्जी नामंजूर, बाकी की खुश्क हुई....उड़े होश, पढ़िए

By RAJESH KAPIL/JALANDHAR

Published on 03 Jun, 2021 03:59 PM.

            जय हिन्द न्यूज़/जालंधर

मृतक का 16 साल बाद फर्जी आधार कार्ड और पावर ऑफ अटॉर्नी एग्जीक्यूट करके प्रॉपर्टी हड़पने वाले जालंधर वेस्ट क्षेत्र के महाठगी मामले में नया अपडेट आया है।

 

 

 

 

 

कथित दोषियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज होने के बाद कोर्ट  के फैंसले से आरोपी पक्ष की किरकिरी हुई है। सेशन कोर्ट ने फरार चल रहे आरोपी ठग गैंग के मेंबर रोहित सरोया की अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया है।

 

 

 

 

 

आरोपी ठग गैंग के सारे मेंबर केस दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहे हैं। गैंग सरगना बताए जा रहे मॉडल हाउस स्थित रायल पैलेस के मालिक आशू उर्फ आनंद वर्मा से पहले आरोपी रोहित सरोया ने अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी जिस पर आज कोर्ट का फैंसला आया है। कानूनविदों की माने तो इस फैंसले से बाकी आरोपियों को जमानत मिलने के चांस कमज़ोर हो गए है।             

           

 

 

 

              पढ़िए फिर, क्या है मामला

पुलिस कमिश्नर को दी शिकायत में इंग्लैंड में रहती एनआरआई चंद्रकांता शर्मा ने कहा था कि साल 2002 में उनके पति प्रबोध चंदर शर्मा का जालंधर के टैगोर अस्पताल में निधन हो गया था। पति की मौत के बाद ग्रोवर कालोनी की 34 मरला जमीन चंद्रकांता के नाम हो गई। जिसका इंतकाल भी चढ़ गया।

 

 

 

 

चंद्रकांता के मुताबिक अगस्त 2020 में उन्हें पता चला कि जाली दस्तावेजों के सहारे जोगिंदर पाल वर्मा के बेटे आशू उर्फ आनंद वर्मा व अन्य लोगों ने उनकी प्रापर्टी अपने नाम करवा कर बेच दी है।चंद्रकांता ने शिकायत में कहा कि आनंद वर्मा ने कांग्रेस की एक नेत्री के जेठ के ड्राइवर को उनके मृतक पति के नाम पर जाली आधार कार्ड बनाकर पूरी प्रापर्टी की पावर आफ अटार्नी अपने मैनेजर दीपक रज्जाक के नाम पर करवा दिया। इसमें सब रजिस्ट्रार और इलाके का पटवारी भी मिला हुआ है।

 

 

 

 

 

 

यही नहीं इलाके का नम्बरदार भी इसमें मिला हुआ है। इस फर्जीवाड़ा में चमनलाल, दलजीत सिंह, रोहित सरोया, बलदेव सिंह की भी मिलीभगत ऱही। पुलिस ने पहले मामले को दबा दिया था पुलिस ने बड़ी हैरानीजनक तरीके से इस मामले को पटाक्षेप कर दिया। जांच अधिकारी ने एनआरआई महिला को कोर्ट कचेहरी की बात कह कर मामले को रफा-दफा करवा दिया।

 

 

 

 

 

इस दौरान जांच अधिकारी ने फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को अभयदान देते हुए उक्त जमीन का फिर से एनआरआई महिला के नाम पर रजिस्ट्री करवा दिया। इन जालसाजों से तीसरी पार्टी ने अपना 20 लाख रुपए वापस मांगा। दीपक रज्जाक ने इस प्रापर्टी का सौदा तीन अन्य लोगों से कर लिया था। इनसे अलग-अलग 20 लाख रुपए भी दीपक रज्जाक ने लिया। आशा, वीना और हनीश कुमार से दीपक रज्जाक ने 33 मरले प्लाट का बयाना 20 लाख रुपए लिए।

 

 

 

 

 

आशा, वीना और हनीश कुमार को जब पता चला कि उनके साथ फ्राड हुआ है, तो उन लोगों ने दीपक रज्जाक ने अपने 20 लाख रुपए वापस मांगे। लेकिन रज्जाक महज 6 लाख देने पर राजी हुआ। जिससे आशा, वीना और हनीश ने इस मामले की फिर से पुलिस कमिश्नर से शिकायत कर दी।

 

 

 

 

 

 

वहीं, केस से बचने के लिए आशु ने कान बिंदवाया, नाक भी और तो और कुछ मीडिया वालों का भी सहारा लिया। हद तब हो गई जब एक SP को "आंख दिखाना" आशु को महंगा पड़ गया जब उसने खुद ही अपने साथियों सहित माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की और यह कृत्य "भस्मासुर" वाला साबित हुआ। हाइकोर्ट ने सुनवाई में याची पक्ष के लोगों को ही संदिग्ध माना और तत्काल FIR दर्ज करके प्रभावी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया।

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