जय हिन्द न्यूज/मोहाली
केंद्र व राज्य सरकार के राजकोष को करोड़ों चूना लगाने वाले जीएसटी गैंग के सरगना के तौर पर नामजद किए स्टेट टैक्सेशन विभाग के डिप्टी कमिश्नर कम डीईटीसी बी.के विरदी को अब एक सप्ताह के भीतर विजिलैंस ब्यूरो की ओर से जारी जीएसटी घोटाले की जांच में शामिल होना ही होगा।
आरोपी विरदी को विजिलैंस ब्यूरो के सवालों के जबाव देने के साथ-साथ उन आरोपों पर भी अपनी सफाई पेश करनी होगी जो विभिन्न माध्यमों से उन पर लगाए गए हैं कि वो बीते समय में अपने अफसरों के जरिए मोटी रिश्वत की राशि हासिल करके राज्य के नामी टैक्स चोरों पर अपनी मेहरबानी बनाकर रखते थे।
ताजा अपडेट यह है कि माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी बी.के विरदी की अग्रिम जमानत अर्जी पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए आरोपी विरदी को आदेश जारी किया है कि वो जांच अधिकारी के समक्ष सरैंडर करे। वहीं जांच अधिकारी को आदेश जारी किया है कि वो विरदी को गिरफ्तार करने के बाद अंतरिम जमानत देकर रिहा भी करे।
पहली सुनवाई के समय जारी निर्देश का पालन करते हुए विजिलैंस ब्यूरो ने विगत दिवस माननीय हाईकोर्ट में अपना लिखित बयान पेश किया जिसको लेकर यह मुद्दा बहस का विषय बना कि डिसक्लोजर स्टेटमैंट में आरोपी बी.के विरदी यानि बलबीर कुमार विरदी का नाम विजय कुमार विरदी लिखा गया है जो जांच का विषय है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद माननीय हाईकोर्ट ने देखा कि चूंकि यह मामला किसी को गिरफ्तार करके हिरासती पूछताछ से पहले गहन जांच का है और ऐसे ही किसी को पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता है इसलिए इस मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले जांच के पहलुओं को स्पष्ट होने तथा आरोपी/संदिग्ध आरोपी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने देने तक जमानत अर्जी की सुनवाई पर फैसला देना उचित नहीं है। अत: मामले की सुनवाई सिंतबर महीने तक के लिए स्थगित कर दी गई है।