जय हिन्द न्यूज़/मोहाली
पंजाब के बहुकरोड़ीय GST घोटाले में नामजद होने के बाद से ही फरार चल रहे आरोपी DETC बी.के. विरदी की अग्रिम जमानत अर्जी आज मोहाली ने खारिज कर दी।
अर्जी पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी की हिरासती पूछताछ को लाजमी माना और अर्जी डिमसिस कर दी। कोर्ट के इस फैंसले से महीनों से फरार चल रहे आरोपी बी के विरदी की मुश्किलें बढ़ा दी है।
बता दे कि कुछ दिन पहले भी आरोपी की गिरफ़्तारी के लिए विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने उसके जालंधर के गुरु गोबिंद सिंह नगर में दबिश दी थी और घर लॉक होने पर घर के बाहर काफी देर डेरा जमाए रखा था।
माना जा रहा था कि ऐसा उस पर सरेंडर का दवाब बनाने के लिए किया गया था। हालांकि 5 घंटे बाद एकाएक टीम बेरंग वापिस लौट गई थी और जमानत अर्जी की सुनवाई के कारण कार्रवाई को टाल दिया गया था। मगर अब अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आरोपी बी के विरदी पर गिरफ्तारी की तलवार फिर लटक गई है।
भले उनके पास राहत के लिए हाइकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के समक्ष गुहार का विकल्प बचा हुआ है लेकिन मामले की ग्रेविटी के सामने उनकी दलील कमज़ोर दिख रही है।
बहरहाल, देखना शेष होगा कि कोरोना महामारी के दौरान वो राहत पाने में कामयाब हो जाते है या फिर विजिलेंस ब्यूरो उनको गिरफ्तार करने में। इस केस में अभी तक निजि कारिंदों, ट्रांसपोर्टरों और काफी GST ऑफिसर्स की गिरफ्तारी हो चुकी है।
गहन पूछताछ में कुछ अफसरों ने और डायरी ने जालंधर के तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर GST इन्वेस्टिगेशन रहे DETC बी के विरदी का नाम उगला था जिसके बाद से वो काफी समय भूमिगत रहे थे और अग्रिम जमानत अर्जी तक दायर नहीं की थी।
सूत्र बताते है कि विरदी और उसके पक्षधरों ने 25L codeword के साथ काफी पहुँच लगाई लेकिन PGST के साथ CGST की चोरी होने के कारण पेंच फंस गया। बहरहाल, कोर्ट के ताजा फैंसले ने विजिलेंस ब्यूरो की ताकत को और बढ़ा दिया है।