पंजाब के CM केप्टन अमरिंदर सिंह की नशा विरोधी मुहिम को कानूनी क्षेत्र से एक और चुनौती मिल रही है।केप्टन की पुलिस तस्करों को जेल भेज रही है और कोई उनकी जमानत तक नहीं दे रहा। मगर शातिर तस्कर फर्जी जमानत देकर छूट रहे हैं।
ऐसा "काले कोट" वालों की मदद के बिना संभव नहीं हुआ होगा, खुद कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी गत दिवस उस समय कि जब एक आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान एक वकील का नाम फर्जी जमानत पेश करने की साजिश में शामिल होने का, सामने आया।
बहरहाल, कोर्ट ने NDPS के केस में फ़र्ज़ी जमानत पेश करने के आरोपी जालंधर के गांव रंधावा मसंदा निवासी रोहित कुमार पुत्र रवि कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए पुलिस को जमकर लताड़ भी लगाई। साथ ही साथ मामले की जांच निष्पक्ष और बिना किसी दवाब के करने की ताकीद भी जारी की क्योंकि मामला कोर्ट के आदेश पर नई बारादरी थाना जालंधर सिटी में IPC की धारा 419, 420, 467, 471 और 120B के तहत दर्ज किया गया है और फरार आरोपी अग्रिम जमानत लेने के लिए दोबारा प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, मुख्य मामला जालंधर सिटी पुलिस के थाना 1 की FIR नंबर 2 का है जिसमें नामजद तस्करी के आरोपी जालंधर के गांव रंधावा मसंदा निवासी संजीव कुमार की जमानत से जुड़ा है। आरोप है कि उसके भाई रोहित कुमार ने उसको जमानती न होने पर 2 नंबर में जमानत दिलवा कर रिहा करवाया।
जानकारी के मुताबिक तस्करी के आरोपी संजीव कुमार की जमानत एडवोकेट राजकुमार भल्ला ने करवाई थी। रेगुलर जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद जब "bail bond" पेश करने का वक्त आया तो जेल में बंद आरोपी संजीव कुमार के भाई रोहित कुमार ने जाली जमानती खड़ा करके जमानत पेश करके भाई संजीव कुमार को जेल से रिहा करवा लिया।
इंसाफ के मंदिर के साथ हुई चार सौ बीसी का भेद तो तब खुला जब तस्करी का आरोपी संजीव कुमार पेशी से गैरहाज़िर हो गया और पुलिस जमानती गांव जोहलां निवासी तरलोक राज पुत्र भुजा राम को पकड़कर कोर्ट ले आई। कोर्ट भी यह जानकर दंग रह गयी कि उसके दस्तावेज कैसे इस्तेमाल हुए मगर Bail Bond register par फ़ोटो उसकी नहीं थी। गवाही देने वाला नम्बरदार भी तस्दीकी से मुकर गया तो कोर्ट ने पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश किया।
सिटी पुलिस ने नई बारादरी थाना में नई FIR दर्ज करके संजीव कुमार और उसके भाई रोहित कुमार को नामजद कर लिया। हालांकि इस मामले में जमानत भरवाने का काम करने वाले वकील राजकुमार भल्ला के सहयोगी गितांशु तथा मुंशी गुलप्रीत सिंह सागर को भी पुलिस ने एग्जामिन किया जिनका गलत रोल सामने नहीं आया। मगर भूमिका एक अन्य वकील अभिनव कुमार भगत की सामने तो आई लेकिन थाना पुलिस ने उसको भी नामजद नहीं किया।
हालांकि ताज़ा अग्रिम जमानत मामले की सुनवाई में उसकी फ़ोन रिकॉर्डिंग में जाली जमानती का जुगाड़ करने का दावा किया गया था जिसकी जांच अभी जारी है। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख दिखाते हुए जांच अधिकारी को आदेश दिया कि यह मामला कोर्ट के साथ जालसाजी का है इसलिए बिना दवाब जांच आगे बढ़ाई जाए। कोर्ट के ताजा रुख के बाद माना जा रहा है कि पुलिस अब वकील पर शिकंजा कसने जा रही है।
उधर, वकील राजकुमार भल्ला ने अपना पक्ष पेश किया कि उनको अंधेरे में रखकर आरोपी रोहित कुमार यह काम करवा गया। समय की कमी होने के कारण सहयोगी भी कोई क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं कर पाए लेकिन एक बात स्पष्ट है कि जाली जमानती का इंतज़ाम हमने नहीं किया जिससे पुलिस को भी संतुष्ट कर दिया गया है। भल्ला ने कहा कि इस घटना के बाद भविष्य में ख्याल रखने का सबक लिया गया है। मगर हमसे पुलिस ने कभी कोई पूछताछ नहीं की क्योंकि हमारा कोई रोल भी नहीं।
वहीं, सवालों के घेरे में आए वकील अभिनव कुमार भगत ने चुप्पी साध ली है जिनकी रिकॉर्डिंग को जांच अधिकारी ने कोर्ट में पेश किया। इसको लेकर जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले तो कॉल अटेंड नहीं की और व्हाट्सअप संदेश रीड करके भी कोई जवाब नहीं दिया लेकिन फिर भी काफी इंतज़ार के बाद समाचार का प्रकाशन किया जा रहा है लेकिन फिर भी उनके पक्ष का इंतज़ार रहेगा।