पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कहा है कि पासपोर्ट अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई सेवा और उपभोक्ता सेवा अधिनियम में परिभाषित 'सेवा' एक नहीं है। उन्हें एक समान नहीं माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय आयोग के विभिन्न निर्णयों का उल्लेख करते हुए, राज्य आयोग के अध्यक्ष जस्टिस परमजीत सिंह धालीवाल, ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत में उठाया गया विवाद 'उपभोक्ता विवाद' नहीं है और वह सीपी अधिनियम की धारा 2 (1) (डी)में निहित 'उपभोक्ता' के तहत नहीं आता।
इससे पहले जिला फोरम ने शिकायत की अनुमति दी और प्राधिकरण को शिकायतकर्ता को पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया गया। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा दायर अपील में, राज्य आयोग द्वारा विचार किया गया मुद्दा यह था कि क्या शिकायतकर्ता एक 'उपभोक्ता' की परिभाषा के अंतर्गत आता है और क्या पासपोर्ट सेवा के कर्तव्य 'सेवा' की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं, जैसा कि सीपी अधिनियम में परिभाषित किया गया है।
जिला फोरम के समक्ष शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसने अपने पासपोर्ट को Renew कराने के लिए आवेदन किया था, लेकिन मामले को किसी ना किसी बहाने से लंबित रखा गया। आरोप लगाया कि अधिकारियों ने शिकायतकर्ता के पासपोर्ट को दोबारा जारी करने पर जानबूझकर, मनमाने तरीके से और बिना किसी उचित कारण के रोक लगाई। पासपोर्ट अधिकारियों की ओर से सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए, उन्होंने पासपोर्ट जारी करने समेत मुकदमेबाजी के खर्च के रूप में 80,000/- और 15,000/- के मुआवजे का भुगतान करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे।