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पासपोर्ट एक्ट के उल्लंघन को लेकर आया केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैंसला, जानिए अब कौन देगा दंड

By RAJESH KAPIL

Published on 22 Jun, 2020 09:35 PM.

एक याचिका के निपटारे में केरल हाईकोर्ट ने माना कि पासपोर्ट एक्ट, 1967 की धारा 12 के तहत अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए पासपोर्ट अफसरों को पेनेल्टी लगाने का कोई अधिकार नहीं है।

 

 

चीफ जस्टिस एस मण‌िकुमार और जस्टिस शाजी पी चेली की खंडपीठ ने उक्त याचिका के निपटारे में पासपोर्ट रूल्स, 1980 की अनुसूची III की धारा 12 (1) (बी) तहत निर्धार‌ित पेनल्ट‌ी लिस्ट ओर धारा 12 (1 ए) के तहत पेनल्टी टेबल के ज्ञापन को भी रद्द कर दिया है। हालांकि पहले से ही वसूल दंड की वापसी का आदेश देने से कोर्ट ने परहेज किया है।

 

 

सिटिजन लीगल राइट्स एसोसिएशन नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका पर पीठ ने कहा कि सजा देने की शक्ति केवल मजिस्ट्रेटों के पास है। पासपोर्ट अथॉरिटी केवल अभियोजन की शुरुआत कर सकती है। दोषी पाए जाने पर कारावास के विकल्प के रूप में जुर्माना, केवल सक्षम मजिस्ट्रेट द्वारा लगाया जा सकता है, जो पासपोर्ट ‌अथॉरिटी की ओर से दायर शिकायत के आधार पर फैसला दे सकता है।

 

 

केंद्र सरकार ने पासपोर्ट अधिकारियों को पेनल्टी पावर देने की दलील दी ‌थी। सरकार का तर्क था कि पासपोर्ट आवेदकों की ओर से की जाने वाली गलत हरकतों, जैसे तथ्यों को छुपाना आदि के लिए पासपोर्ट प्राधिकरण को शक्ति देना जरूरी है। ऐसे मामले में मुकदमा चलाना व्यावहारिक नहीं है।

 

 

केंद्र की दलीलों को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा कि एक पेनल्टी जो कानून के अनुसार नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। न्यायालय ने केंद्र की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि जनहित याचिका इस मुद्दे पर बरकरार रखने योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, इस मामले में "सार्वजनिक हित के पर्याप्त तत्व" मौजूद हैं।

 

 

कोर्ट ने कहा, "तथ्यों और कानून को ध्यान में रखते हुए, हम आश्वस्त हैं कि अधिनियम, 1967 के तहत अफसरों के पास अधिनियम 1967 की धारा 12 के तहत किसी भी प्रकार का जुर्माना लगाने की शक्ति नहीं है और यह जनता को प्रभावित करने वाला मामला है। बिना किसी कानूनी अधिकार के दंड लगाना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन की सुरक्षा और निजी स्वतंत्रता के अध‌िकार के साथ हस्तक्षेप है।

 

 

" न्यायालय ने 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से दिए गए एक निर्णय का उल्लेख किया, जिसका यह निष्कर्ष था। न्यायालय ने कहा कि कानून और न्याय मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के खिलाफ सलाह दी थी, और सुझाव दिया था कि पासपोर्ट अधिकारियों को दंड लगाने की शक्ति देने के बजाय पासपोर्ट अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए।

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