जय हिन्द ब्यूरो/जालंधर
कर्फ्यू दौरान ढील मिलने पर हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद चर्चा में आये अमोल मेहमी केस में आज नया मोड़ आया। सिटी पुलिस की ओर से कार चालक अमोल मेहमी के साथ नामजद किए उनके पिता परमिंदर मेहमी की जमानत पर सुनवाई के दौरान केस फ़ाइल लेकर कोर्ट में पेश हुआ ASI सुरजीत सिंह कोर्ट में आपा खो बैठा।
कोर्ट के जिमनी आर्डर के अनुसार ASI सुरजीत सिंह ने कोर्ट के समक्ष न केवल पुलिस के पीटने की पावर को एक अधिकार बताया बल्कि कोर्ट में ऊंची आवाज में बात भी की, जिसका कोर्ट ने कड़ा संज्ञान ले लिया है।
कोर्ट ने ASI सुरजीत सिंह के इस रवैये का संज्ञान लेते हुए जिमनी आर्डर पास करके पुलिस कमिश्नर को आदेश जारी कर अगली तारीख 21.05.2020 पर कम से कम SP रैंक के अधिकारी को केस फ़ाइल लेकर पेश होने के लिए पाबंद किये जाने की ताकीद की है क्योंकि आज पेश हुआ ASI सुरजीत सिंह न तो घटना स्थल पर मौजूद था और न केस का इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर।
कोर्ट ने SP लेवल के अधिकारी को घटना के वक़्त की वीडियो फुटेज भी साथ लेकर आने को कहा है।इतना ही नहीं अदालत में कांड करके आये ASI सुरजीत सिंह के लिए बुरी खबर है कि कोर्ट ने उसके खिलाफ कानूनी एक्शन लेने का रुख अख्तियार किया है और 21.05.2020 को उसका जवाब तलब किया है कि कोर्ट की तौहीन के आरोप में क्यों न उसके खिलाफ प्रोसीडिंग चलाई जाए।
वहीं, पुत्र अमोल मेहमी के साथ नामजद किए और कोर्ट से अंतरिम अरेस्ट स्टे पर चल रहे परमिंदर मेहमी के लिए अंतरिम राहत की खबर यह है कि केस फ़ाइल लेकर पेश हुए ASI सुरजीत सिंह ने यह मान लिया है कि घटना के समय परमिंदर मेहमी वहां मौजूद नहीं था। कोर्ट के पूछने पर ASI ने आधार बनाया कि परमिंदर मेहमी ने पुत्र अमोल मेहमी को कार देकर अपराध को अंजाम देने के लिए भेजा था।
जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही जज परमिंदर सिंह ग्रेवाल के बेंच वाली अदालत में माहौल उस समय पुलिस के खिलाफ हो गया जब ASI सुरजीत सिंह से यह पूछा गया कि क्या पुलिस ने अमोल मेहमी को गिरफ्तार करते समय उसके साथ मारपीट की थी, जिस पर ASI सुरजीत सिंह ने यह कह दिया कि पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करते समय उसे पीटने का पूरा अधिकार है।
इतना ही नहीं, कोर्ट की भृकुटि उस समय तनी जब ASI ने यह बात करते समय ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने महसूस किया कि थाना पुलिस कानून के दायरे से बाहर जाकर काम कर रही है और अदालत का सम्मान भी भूल रही है जिसके लिए उच्च अधिकारी को बुलाकर सुनवाई करना ज़रूरी हो गया है।
बहरहाल, आज की घटना से पुलिस का कुरूप चेहरा कोर्ट के सामने आ गया है कि किस तरह से पुलिस अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है और उच्च अधिकारी उस पर चुप्पी साधे बैठे हैं। कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो इसका सीधा लाभ मेहमी परिवार को मिलना तय लग रहा है।